CONSUMER RIGHTS

उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम

आजकल हम देखते है की व्यपार करने का तरीका,क्रिया कलाप,नए तरीके व प्रचार करने का तरीका समाज को प्रभावित करता है | कई बार देखने में आता है की आधुनिक प्रचार के तरीको से व नई नई विकसित हुई बिक्री की प्रणालियों से उपभोगता भ्रमित हो जाता व आपने को ठगा महसूस करता या ठगा जाता है |इसलिय भारत सरकार ने उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986  के अधिनियम को लागु  किया ।क्योंकि भारत के राष्‍ट्रपति ने 24 दिसम्बर को इस ऐतिहासिक आधिनियम पर हस्ताक्षर किये थे |  इस उपलक्ष में भारत सरकार ने  24  दिसम्बर को राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता दिवस घोषित किया है, 15  मार्च को प्रत्‍येक वर्ष विश्‍व उपभोक्‍ता अधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता हैं।उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम – उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 व्‍यापार और उद्योग के शोषण से उन लोगों के अधिकारों और हितों को बचाने के लिए बनाया गया था जो किसी न किसी प्रकार से उपभोक्‍ता है। इस अधिनियम के अनुसार कोई भी व्‍यक्ति, जो अपने प्रयोग हेतु वस्‍तुएं एवं सेवाएं खरीदता है उपभोक्‍ता है।कोई भी व्यक्ति जो उत्पादों या सेवाओं को अपने व्यक्तिगत उपयोग के लिए खरीदता है न कि निर्माण या पुनर्विक्रय के लिए उपभोक्ता कहलाता है। 

उपभोगता कोन होता है-उपभोक्ता वह होता है जो निर्णय लेने वाला होता है कि बजार/दुकान पर कोई वस्तु खरीदना है या नहीं या विज्ञापन और विपणन से प्रभावित कोई व्यक्ति जो बजार/दुकान से वस्तु खरीदता है,सेवा प्राप्त करता है ।

उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम-1986 

उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम-1986 में उपभोक्‍ताओं को उनके हितो कि सूरक्षा हेतु उनके अधिकारों के लिए कानून बनाए गए है ओर उन्हे कुछ निम्नलिखित अधिकार दिए है।सुरक्षा का अधिकार,संसूचित किए जाने का अधिकार,चयन का अधिकार,सुनवाई का अधिकार,प्रतितोष पाने का अधिकार,उपभोक्‍ता शिक्षा का अधिकार।

सतीश शर्मा सदस्य संरक्षक संपादक मंडल विद्या वार्ता, संपादक जानकारी काल व सुमन संगम।

1 thought on “CONSUMER RIGHTS”

  1. अशोक कुमार वर्मा महरौली

    अति अति विलंब से किया गया व बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य इसकी समाज को नितांत आवश्यकता है लेकिन इसका प्रचार-प्रसार पूरा नहीं हो पा रहा है इसलिए यह अभी तक भी लंबित पड़ा हुआ है

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