एकादशी कथा

मोक्षदा एकादशी

मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी मोक्षदा एकादशी के नाम से प्रसिद्ध है| इस दिन दामोदर भगवान की पूजा की जाती है | पूजा में दामोदर भगवान को धूप,दीप,नैवेद्य आदि पूजा पदार्थों से करनी चाहिए और भक्ति पूर्वक दामोदर भगवान की कीर्तन और जागरण आदि करना चाहिए उन से यह प्रार्थना करनी चाहिए | गोविंद मेरी यह प्रार्थना है भूलू ना, मै नाम कभी तुम्हारा, निष्काम होकर दिन रात गाओ , गोविंद दामोदर माधवेति, गोविंद दामोदर माधवेति ।

मोक्षदा एकादशी व्रत की कथा – प्राचीन गोकुल नगर में धर्मात्मा और भक्त वैखानस नाम का राजा था उसने रात्रि को सपने में अपने पूज्य पिता को नरक भोगते हुए देखा तो प्रातः काल उसने ज्योतिषी वेद पाठी ब्राह्मणों से पूछा मेरे पिता का उद्धार कैसा होगा । ब्राह्मण बोले यहा समीप ही पर्वत ऋषि का आश्रम है । उसकी शरणागति से शीध्र ही आपके पिता स्वर्ग को चले जाएंगे । राजा पर्वत ऋषि की शरण में गया और दंडवत करके कहने लगा मुझे रात्रि को सपने में पिता के दर्शन हुए हैं ।मेरे पिता जी यमदूतो से दंड पा रहे है।अतः आप अपने योगबल से बताइए कि उनकी मुक्ति किस साधन से शीघ्र होगी। मुनि ने विचार कर कहा कि धर्म-कर्म सब देरी से फल देने वाले हैं । शीघ्रता से वरदाता तो केवल शंकर जी ही प्रसिद्ध हैं । परंतु उनको प्रसन्न करना भी कोई आसान नहीं है देर अवश्य लग जाएगी और तब तक राजा तुम्हारे पिता को यमदूतो से कष्ट झेलना पड़ेगा | इसलिए सबसे सुगम और शीघ्र फल दे ने के लिए मोक्षदा एकादशी का व्रत है | उसे विधि पूर्वक परिवार सहित कर के पिता को संकल्प कर दो | उसी से उसकी मुक्ति होगी | राजा ने मोक्षदा एकादशी का व्रत करके फल पिता को अर्पण कर दिया | इसके प्रभाव से वह स्वर्ग को चले गए और जाते हुए बोले मैं परमधाम को जा रहा हूं | श्रद्धा भक्ति से जो मोक्षदा एकादशी का महात्मय सुनता है उसे दस यज्ञ का फल मिलता है

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कामिका एकादशी

कामिका एकादशी कामिका एकादशी श्रावण  मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को बनाई जाती है इसे पवित्रता के नाम से भी जाना जाता है | प्रातः स्नानादि करके भगवान विष्णु की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराकर भोग लगाया जाता है | आचमन के पश्चात धूप दीप चंदन आदि सुगंधित पदार्थों से आरती उतारनी चाहिए | कामिका एकादशी व्रत की कथा – एक समय की बात है कि किसी गांव में एक ठाकुर रहा करते थे | वह बहुत ही क्रोधी स्वभाव के थे क्रोधवश  उनकी एक ब्राह्मण से भिड़ंत हो गई जिसका परिणाम यह हुआ कि वह ब्राह्मण मारा गया | उस ब्राह्मण के मरणोपरांत उन्होंने उसकी तेहरवीं करनी चाही लेकिन सब ब्राह्मणों ने भोजन करने से इंकार कर दिया तब उन्होंने सभी ब्राह्मणों से निवेदन किया कि हे  भगवान मेरा पाप  कैसे दूर हो सकता है कृपया कोई उपाय बताए | भगवान से की इस प्रार्थना पर उन सब ने उसे एकादशी व्रत करने की सलाह दी ठाकुर ने वैसे ही किया | रात में भगवान की मूर्ति के पास जब वह शयन  कर रहा था तभी उसने एक सपना देखा सपने में भगवान ने उसे दर्शन देकर कहा कि ठाकुर तेरा सारा पाप दूर हो गया अब तो तू ब्राह्मण की तेहरवीं भी कर सकता है तेरे घर सूतक नष्ट हो गया है | ठाकुर पूरे विधि विधान से तेहरवीं करके ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्त हो गया और अंत में कामिका एकादशी व्रत के प्रभाव से  मोक्ष प्राप्त करके विष्णुलोक को चला गया |

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