खुद को जाने
अजय कुमार शर्मा
बुझो खुद को, जानो खुद को;
बात है सिर्फ यह तुम्हारे संग्राम की..
कभी भीगे हो बारिश में;
भरके आँखों में आँसू….?
कभी दी है अग्नि;
ख्वाहिशों को….?
कभी किया है संग्राम अपने अंतर्मन से;
खुद को और बुलंद कर क्या कभी,
बच पाए हो तुम टूटने से??
हार से सिखने की गाथाऐं भी हमारी हैं,
और आगे की कहानी अजेय जारी है..
भाव अविरल बहुत हैं,
पल में बदलाव भी सम्भव….
पर क्या तुम बनोगे योद्धा?
रणभूमि में खुद से खुद के प्रतिकार की??
बुझो खुद को, जानो ख़ुद को और
गढ़ लो खुद को;
क्योंकि यह बात है सिर्फ तुम्हारे संग्राम की !!
Adbhut
अति सुंदर कविता। सुंदर शब्दों के साथ।
यह कहानी तो मुझसे काफी मिलती सी है
Prernatmak batein…..
Beautiful


Bhut Sundar

Boht sundar rachna!
Nice lines
बहुत ही सुंदर लिखा हैं
Very beautiful lines you have aligned


Very nice
बहुत ही सराहनीय।
Bahut hi sundar, Dil ki karib…
Beautiful
संग्राम हमारा भी जारी है और आपका साथ हमारे सभी दुश्मनों पर भारी है।
सराहनीय
Bahut sundar
बन्धुवर, आपके यह शब्द प्रेरणा देकर बता रहे हैं- खुद को जानने और जीवन में अग्रेसर होने की भुमिका कैसे लिखी जाती है।
बहुत प्रेरणादायक
अति सुंदर कविता
Superb,
अति सुंदर कविता
स्वामी विवेकानंद और चंद्रशेखर आजाद जी की तरह आपकी कविता के शब्द भी ओजस्विता और प्रेरणा से जीवन में आगे बढ़ने की शक्ति देते हैं।
बहुत ऊतम
एक आदर्श मार्गदर्शक की कविता झकझोर गई मुझे।
धन्यवाद पथ प्रदर्शन के लिए।
बहुत सुंदर….


आपकी अविरल रचना को प्रणाम
आपको कविता के साथ पुस्तक भी लिखनी चाहिए।
आपकी लेखनी में अंदर तक झकझोर देनी की क्षमता है।
कृपया गौर कीजिये
Aapki kvita se meta 16 year ka beta bahut inspire hua aur aapse milna chahta he.
Aap kaha rehte hain, kab mil skte hain aapse. Usko milkar plz margdarshan kijiye.
Aapka bahut bahut aabhar hoga.
बहुत सुंदर