देवाधिदेव शंकरा
डॉ वनिता शर्मा
देवाधि-देव शंकरा रुद्रदेव महेश्वरा
नमस्तुभ्यम, नमस्तुभ्यम नमस्तुभ्यं
आदि हो अनादि हो ओंकार मंत्र हो
देवों के भी महादेव अविकारी अनंत हो
सत्यं शिवं सुंदरं भोलेनाथ शंकरा
नमस्तुभ्यम नमस्तुभ्यम नमस्तुभ्यं
सृजक हो संहारक हो प्रलय के कारक हो
भक्ति हो शक्ति हो आस्था उपासना हो
शिवतत्त्व आराधना आदिदेव परमेश्वरा
नमस्तुभ्यम नमस्तुभ्यम नमस्तुभ्यम
अर्थ में निरर्थ में भूत और भविष्य में
वर्तमान सृष्टि में सत चितानंद स्वरूप
ब्रम्हा विष्णु महेश्वरा हर हर महादेव शंकरा
नमस्तुभ्यम नमस्तुभ्यम नमस्तुभ्यम
महाकाल नीलकंठ तेरी ही महानता है
त्रिकाल त्रिलोक में त्रिदेव त्रिरूप में
त्रिभुवन के कण कण मेंॐकार समागम है
ब्रह्मा विष्णु महेश त्रिगुनरूप महेश्वरा
शिवास्वरूप शंकरा पार्वती परमेश्वरा
नमस्तुभ्यम नमस्तुभ्यम नमस्तुभ्यम
नमः शिवाय नमः शिवाय नम:शिवाय !