तितिक्षा
(द्वन्द सहिष्णुता)
मुरारी लाल सारस्वत
मस्तिष्क में विद्युत रासायनिक क्रिया से,
विचारों की उत्पत्ति होती है।
रसाइनों की भिन्नता के कारण, भिन्न विचारों की निष्पत्ति होती है।।
विचारों की भिन्नता में हेय या उपादेय का प्रश्न बेईमानी है।
परस्पर विचारों का सम्मान ही इंसानी है।।
संसार रुपी बृक्ष का आधार ही तितिक्षा है।
तितिक्षा का अभाव ही मनुष्यता की परीक्षा है।।
प्रकृति और जीव में जब तक साम्यावस्था है।
तभी तक संसार के सुचारु संचालन की व्यवस्था है।।
इसीलिए परस्पर तितिक्षा का भाव अनिवार्य है।
प्रकृति की साम्यावस्था के लिये तितिक्षा ही अपरिहार्य है।