अगस्त मास 2023 का पंचांग

दिनांक | भारतीय व्रत उत्सव अगस्त – 2023 |
1 | सत्य व्रत |
4 | श्री गणेश चतुर्थी व्रत |
8 | कालाष्टमी |
11 | कमला एकादशी व्रत |
12 | कमला एकादशी व्रत |
13 | शनि प्रदोष व्रत |
14 | मास शिव रात्री |
15 | स्वतंत्रता दिवस |
16 | हरियाली अमावस्या,अधिक मास समाप्त |
17 | संक्रांति पुन्य |
18 | सिधारा |
19 | मंगला गौरी पूजन |
20 | विनायक चतुर्थी व्रत, वरद चतुर्थी |
21 | नाग पंचमी |
22 | कलिक जयंती वरुण छठ |
23 | गोस्वामी तुलसीदास जयंती ,सीतला सप्तमी |
24 | श्री दुर्गा अष्टमी |
27 | पवित्रा एकादशी व्रत |
28 | सोम प्रदोष व्रत 1 |
30 | सत्य व्रत ,रछा बंधन हयग्रीव जयंती |
31 | अमरनाथ यात्रा , रशशी तर्पण गायत्री जयंती |
चौघड़िया मुहूर्त
चौघड़िया मुहूर्त देखकर कार्य या यात्रा करना उत्तम होता है। एक तिथि के लिये दिवस और रात्रि के आठ-आठ भाग का एक चौघड़िया निश्चित है। इस प्रकार से 12 घंटे का दिन और 12 घंटे की रात मानें तो प्रत्येक में 90 मिनट यानि 1.30 घण्टे का एक चौघड़िया होता है जो सूर्योदय से प्रारंभ होता है|
पंचक विचार अगस्त – 2023
पंचक विचार -(धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण से रेवती नक्षत्र तक) पंचको में दक्षिण दिशा की ओर यात्रा करना मकान दुकान आदि की छत डालना चारपाई पलंग आदि बुनना,दाह संस्कार,बांस की चटाई दीवार प्रारंभ करना आदि स्तंभ रोपण तांबा पीतल तृण काष्ट आदि का संचय करना आदि कार्यों का निषेध माना जाता है समुचित उपाय एवं पंचक शांति करवा कर ही उक्त कार्यों का संपादन करना कल्याणकारी होगा ध्यान रहेगा पंचर नक्षत्रों का विचार मात्र उपरोक्त विशेष कृतियों के लिए ही किया जाता है विवाह मंडल आरंभ गृह प्रवेश प्रवेश उपनयन आदि मुद्दों से तो पंचक नक्षत्रका प्रयोग शुभ माना जाता है पंचक विचार- दिनांक 02 को 23-25 से 07 को 01-43 बजे तक, 30 को 10-18 से 03 को 10-38 बजे तक पंचक है |
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे शर्मा जी – 9312002527,9560518227
भद्रा विचार अगस्त – 2023
भद्रा काल का शुभ अशुभ विचार – भद्रा काल में विवाह मुंडन, गृह प्रवेश, रक्षाबंधन आदि मांगलिक कृत्य का निषेध माना जाता है परंतु भद्रा काल में शत्रु का उच्चाटन करना,स्त्री प्रसंग में,यज्ञ करना,स्नान करना,अस्त्र शस्त्र का प्रयोग,ऑपरेशन कराना, मुकदमा करना,अग्नि लगाना,किसी वस्तु को काटना,भैस,घोड़ा व ऊंट संबंधी कार्य प्रशस्त माने जाते हैं सामान्य परिस्थिति में विवाह आदि शुभ मुहूर्त में भद्रा का त्याग करना चाहिए परंतु आवश्यक परिस्थितिवश अति आवश्यक कार्य भूलोक की भद्रा ,भद्रा मुख छोड़कर कर भद्रा पुच्छ में शुभ कार्य कर सकते है |
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे शर्मा जी – 9312002527,9560518227
दिनांक | शुरू | दिनांक | समाप्त |
01 | 03-52 | 01 | 13-58 |
04 | 02-31 | 04 | 12-45 |
07 | 05-20 | 07 | 16-47 |
10 | 16-34 | 11 | 05-06 |
14 | 10-25 | 14 | 23-34 |
20 | 11-24 | 21 | 00-22 |
24 | 03-31 | 24 | 14-51 |
27 | 10-55 | 27 | 21-35 |
30 | 10-58 | 30 | 21-01 |
मूल नक्षत्र विचार-अगस्त 2023
दिनांक | शुरू | दिनांक | समाप्त |
06 | 02-54 | 08 | 01-16 |
15 | 13-38 | 17 | 19-58 |
25 | 09-14 | 27 | 07-15 |
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सर्वार्थ सिद्धि योग अगस्त-2023
दैनिक जीवन में आने वाले महत्वपूर्ण कार्यों के लिए शीघ्र ही किसी शुभ मुहूर्त का अभाव हो,किंतु शुभ मुहर्त के लिए अधिक दिनों तक रुका ना जा सकता हो तो इन सुयोग्य वाले मुहर्तु को सफलता से ग्रहण किया जा सकता है | इन से प्राप्त होने वाले अभीष्ट फल के विषय में संशय नहीं करना चाहिए यह योग हैं सर्वार्थ सिद्धि,अमृत सिद्धि योग एवं रवियोग | योग्यता नाम तथा गुण अनुसार सर्वांगीण सिद्ध कारक है|
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दिनांक | प्रारंभ | दिनांक | समाप्त |
07 | 01-43 | 07 | 05-50 |
09 | 01-32 | 10 | 05-51 |
14 | 11-06 | 15 | 05-54 |
15 | 13-58 | 16 | 05-54 |
20 | 05-56 | 21 | 04-21 |
24 | 09-03 | 26 | 09-14 |
27 | 06-00 | 27 | 07-15 |
ग्रह स्थिति अगस्त-2023
ग्रह स्थिति – दिनांक 03 को शुक्र पश्चिम अस्त,दिनाक 07 को शुक्र कर्क में,दिनांक 17 को सूर्य सिंह मे, शुक्र पूर्व उदय,दिनांक 18 को मंगल कन्या मे,दिनांक 23 को बुध वक्री,दिनांक 24 को बुध पश्चिम अस्त |
सुर्य उदय- सुर्य अस्त अगस्त-2023
दिनांक | उदय | दिनांक | अस्त |
1 | 05-43 | 1 | 19-09 |
5 | 05-46 | 5 | 19-06 |
10 | 05-48 | 10 | 19-02 |
15 | 05-51 | 15 | 18-57 |
20 | 05-54 | 20 | 18-52 |
25 | 05-56 | 25 | 18-47 |
30 | 05-59 | 30 | 18-42 |
राहू काल
राहुकाल -राहुकाल दक्षिण भारत की देन है,दक्षिण भारत में राहु काल में कृत्य करना अच्छा नहीं माना जाता, राहु काल में शुभ कृतियों में वर्जित करने की परंपरा अब हमारे उत्तरी भारत में भी अपनाने लगे हैं राहुकाल प्रतिदिन सूर्यादि वारों में भिन्न-भिन्न समय पर केवल डेढ़ डेढ़ घंटे के लिए घटित होता है |
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मांगलिक दोष विचार परिहार
वर अथवा कन्या दोनों में से किसी की भी कुंडली में 1,4,7,8 व 12 भाव में मंगल होने से ये मांगलिक माने जाते हैं,मंगली से मंगली के विवाह में दोष न होते हुए भी जन्म पत्रिका के अनुसार गुणों को मिलाना ही चाहिए यदि मंगल के साथ शनि अथवा राहु केतु भी हो तो प्रबल मंगली डबल मंगली योग होता है | इसी प्रकार गुरु अथवा चंद्रमा केंद्र हो तो दोष का परिहार भी हो जाता है |इसके अतिरिक्त मेष वृश्चिक मकर का मंगल होने से भी दोष नष्ट हो जाता है | इसी प्रकार यदि वर या कन्या किसी भी कुंडली में 1,4,7,9,12 स्थानों में शनि हो केंद्र त्रिकोण भावो में शुभ ग्रह, 3,6,11 भावो में पाप ग्रह हों तो भी मंगलीक दोष का आंशिक परिहार होता है, सप्तम ग्रह में यदि सप्तमेश हो तो भी दोष निवृत्त होता है |
स्वयं सिद्ध मुहूर्त
स्वयं सिद्ध मुहूर्त चैत्र शुक्ल प्रतिपदा वैशाख शुक्ल तृतीया अक्षय तृतीया आश्विन शुक्ल दशमी विजयदशमी दीपावली के प्रदोष काल का आधा भाग भारत में से इसके अतिरिक्त लोकाचार और देश आचार्य के अनुसार निम्नलिखित कृतियों को भी स्वयं सिद्ध मुहूर्त माना जाता है बडावली नामी देव प्रबोधिनी एकादशी बसंत पंचमी फुलेरा दूज इन में से किसी भी कार्य को करने के लिए पंचांग शुद्धि देखने की आवश्यकता नहीं है परंतु विवाह आदि में तो पंचांग में दिए गए मुहूर्त व कार्य करना श्रेष्ठ रहता है।
जन्म कुंडली व हस्त रेखा विशेषज्ञ
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जन्म कुंडली के विषय में जानना चाहते हैं तो कृपया जन्म तिथि,
जन्म समय व जनम स्थान अवश्य लिखें।
शर्मा जी – 9560518227,9312002527