भारत का बढ़ता आत्म विश्वास
2001 की बात है जॉर्ज बुश एक स्कूल में सम्बोधित कर रहे थे। अचानक उसके कान में उनका गार्ड आकर कुछ बताता है। वो सुनते हैं और वापिस अपनी स्पीच देने लगते हैं। बाद में पता चलता है कि गार्ड ने उन्हें बताया था कि अमेरिका पर 9/11 हमला हो गया है। बाद में जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने ऐसा क्यों किया तो उसने बताया कि मैंने अपनी स्पीच इसलिए जारी रखी क्योंकि जिन्होंने ये हमला किया वो यही तो चाहते थे कि वो दिखा सकें कि कैसे अमेरिका को घुटनों पर ला दिया और उसका राष्ट्रपति एक दम अवाक रहकर मारा मारा भाग खड़ा हुआ। ये आतंकवाद को ट्रीट करने का अमेरिकी तरीका है कि तुमने जो करना था कर दिया लेकिन इससे हम अपना काम धाम रोककर घुटनों पर नहीं आते। हम इसका बदला तो जरूर लेंगे जो तुम्हारी सात पुश्तें याद रखेंगी, पर अमेरिका अपने पैरों पर भी खड़ा रहेगा और जैसा चल रहा था वैसे ही चलता रहेगा। ये कहानी इसलिए बता रहा हूँ कि मोदी पिछले दिनों बंगलोर में थे हमारे तेजस की वैश्विक मार्केटिंग करने…। उसी समय वहां टँकी हमले में वीरगति को प्राप्त हुए जवान का भी अंतिम संस्कार था। विरोधियों को जब हवा में हाथ हिलाने वाले अपने प्रोपेगेंडा से कुछ हासिल नहीं हुआ तो उन्होंने दूसरा ड्रामा किया कि बगल में जवान की अंत्येष्टि हो रही थी और मोदी प्लेन उड़ा रहा था। ऐसा नहीं है कि ये समझते नहीं बल्कि ये ऐसा इसलिए करते हैं कि पुलवामा हो या हाल का हमला, ये पाकिस्तान इनके लिए ही तो करता है ताकि ये उसका लाभ ले सकें पिछले साल सर्वे में आया था कि देश मे जनता की नजर में सबसे विश्वसनीय तीन चीजों में पहले नम्बर पर आर्मी, दूसरे पर आरबीआई और तीसरे पर PMO है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट और फिर CBI का नम्बर आता है। अब ऐसे में यदि पहले नम्बर की आर्मी और तीसरे नम्बर पर प्रधानमंत्री के बीच ही झगड़ा करवा दिया जाए तो कितना बढ़िया है कि इससे इनके सत्ता का रास्ता खुल जायेगा कि ये मोदी कैसा मतलबी है जो आर्मी के बलिदान के समय भी अपने में मस्त है। ये वही लोग कहते हैं जिन्होंने 26/11 का बदला मजहबियों को खुश करने को नहीं लिया और आर्मी/एयरफोर्स बेचारी खड़ी की खड़ी रह गयी। साथ ही ये चाहते हैं कि ऐसे हमले में सरकार घुटनो पर आ जाये और मातम में चली जाए। वो अपना सब काम बंद कर दे जिससे टँकीयों के हौसले और मजबूत हों कि एक हमला करेंगे और भारत में मातम पसर जाएगा।
लेकिन मोदी इसे समझते हैं। और न सिर्फ समझते हैं बल्कि पुलवामा के हमले का बदला फिर बालाकोट से लेते हैं, लेकिन इनके आगे सरेंडर नहीं होते। आज खबर आ रही है कि तालिबान ने 11 पाकिस्तानी वर्दी वाले हादी ठोक दिए। जाहिर है कि अब भारत की नीति बदल गयी है कि न सिर्फ हम घुसकर मारेंगें बल्कि जैसे तुम कथित नॉन स्टेट एक्टर्स से हमला करोगे हम भी फैंटम (अज्ञात) लोगों से लेकर तालिबान, बलूच हर तरह से तुमको वही स्वाद चखाएंगे। आज मेजर आर्य अपने वीडियो में यही कह रहे थे कि रावण की नाभि में वार करो नाकि सर काटते रहो क्योंकि जैसे ही उसपर पैसे आएंगे वो फिर 26/11 करेगा। लेकिन मेजर ये मिस कर जाते हैं कि वो पैसे आने भी मोदी ने ही रोक रखे हैं। दो तरीके हैं पाकिस्तान से निपटने के, या तो उसपर चढ़ाई कर दो जिसमें हमारा भी बराबर नहीं तो 30% नुकसान जान माल का होगा… या फिर पाकिस्तान को आटे चावल के लिए इतना मोहताज कर दो जैसे अमेरिका ने रूस की इकोनॉमी तोड़ दी थी और अंततः रूस टूट गया। मोदी की पॉलिसी दूसरे तरीके की है, जैसा पाकिस्तान का डॉक्ट्रिन बना था 1971 के बंगलादेश टूटने पर कि भारत को 1000 जख्म देकर भारत में गृहयुद्ध करवाना है फिर वो खाली स्थान से कराओ, लिट्टे से कराओ, नार्थईस्ट से कराओ, हिन्दू-मजहबी से कराओ या जाति भाषा के नाम पर कराओ। हम भी उसी तरह बलोचिस्तान बनाम पंजाब (पाकिस्तान वाला), तालिबान बनाम पाकिस्तान, सिंध बनाम पाकिस्तान, अहमदिया बनाम सुन्नी, शिया बनाम सुन्नी, TTP बनाम पाकिस्तान आर्मी, TLP बनाम आर्मी हर तरह से उसके अंदर वो माहौल बनवा रहे हैं कि पाकिस्तान गृहयुद्ध में चला जाये। और जबसे ऐसा शुरू किया है तो पाकिस्तान के पास ले देकर दो ही लोग बचे हैं। एक चीन और दूसरा खान ग्रेस जिनसे उसे उम्मीद है कि उसके “अच्छे दिन” फिर वापिस आएंगे। उसकी यही छटपटाहट फिर हमपर हमला करती है और हमारा छुटपुट नुकसान करती है लेकिन अब भारत की ये डाक्ट्रिन तब तक नहीं रुकेगी जब तक या तो ये सरकार जिंदा है या फिर पाकिस्तान जिंदा है।इसलिए आपकी भावनाओ से खान ग्रेस खेलती है क्योंकि पाकिस्तान के साथ 26/11 ही नहीं किया है इन्होंने बल्कि उनके साथ कितने ही अन्य राज भी इन के छुपे हैं, फिर वो हवाला रैकेट हो, दावूद जैसे हों या फिर जो आप दिल दिल पाकिस्तान सुनते हैं भारत मे, उनकी चाबी उसके पास हो।इसलिए जब भी ये लोग आपको भड़काएं ये याद रखिये कि वो भड़का क्यों रहे हैं।