इच्छाशक्ति

इच्छाशक्ति 

इच्छाशक्ति हमारे स्व और मन की संयुक्त शक्ति है, जो निर्धारित कार्य को निष्कर्ष तक पहुंचाने में सहायक बनती है। जो सही है यह हमें उस पर चलने तथा जो गलत है, उससे बचने की शक्ति देती है। समस्या यह है कि हम अपनी इच्छाशक्ति को बढ़ाने का प्रयास नहीं करते। भाव एवं बुद्धि के बीच विभेद के कारण हम लक्ष्य की प्राप्ति को बौद्धिक रूप से तो समझते हैं, लेकिन उसे हृदय से अनुभव नहीं करते। ऐसे में बाधाएं हमारे मनोबल को तोड़ देती हैं। जबकि हृदय से लक्ष्य को प्राप्त करने की चाहत हमें वह आवश्यक शक्ति प्रदान करती है, जो तमाम विघ्न-बाधाओं के बीच हमें लक्ष्यसिद्धि तक पहुंचाकर रहती है। *बौद्धिक समझ के साथ अपने आदर्श, लक्ष्य या इष्ट के प्रति अनुराग का होना वह महत्वपूर्ण तत्व है, जो इच्छाशक्ति को बलवान बनाता है।* 

     अपने किए पर पश्चाताप और भविष्य के प्रति चिंताएं – इच्छाशक्ति को कमजोर करने वाले दो बड़े तत्व हैं। भूतकाल में हुई गलतियों को लेकर कुढ़ते रहने से ऊर्जा कुंठित होती है तथा भविष्य के प्रति चिंता व्यक्ति को अकर्मण्य बना देती है। इसके बजाय वर्तमान में जीना जीवन को एक नया अर्थ देता है। इसके लिए जीवन के मूल्यों की स्पष्ट समझ महत्वपूर्ण होती है। इसके अभाव में लोग हर पल बदलती इच्छाओं के हाथों का खिलौना बन जाते हैं। लोग कब सांसारिक कामनाओं और वासनाओं का दास बन जाते हैं- इसका पता ही नहीं चलता। यह मार्ग अंततः उनको दुख की ओर ही ले जाता है। *जबकि मन की शांति और जीवन का आनंद तो सद्गुणों के विकास पर निर्भर करता है न कि धन या सांसारिक सुख-भोग के अंबार पर।*

      *इच्छाशक्ति को बढ़ाने के लिए स्वयं को जितना अधिक हो सके सकारात्मक कामों में व्यस्त रखें।* खाली मन शैतान का घर होता है। स्वस्थ आदतों को अपनाएं। मन को रचनात्मक दिशा में लगाए रखें। इससे कुछ नए सृजन का संतोष मिलेगा और साथ ही इच्छाशक्ति भी बढ़ेगी।

-भगीरथ कुमार

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