काँवड़ जलाभिषेक
श्रावण मास विक्रमी संवत 2081,सन् 2024 ई.में मुहूर्त्त
शिवभक्त कांवड़ियों द्वारा गोमुख, श्री केदारनाथ, श्री अमरनाथ, श्री हरिद्वार, नीलकण्ठ एवं गंगादि तीथों से श्री गंगाजल के कलश भरकर भगवान् श्रीशिव की प्रसन्नता हेतु आषाढ़ पूर्णिमा से लेकर सम्पूर्ण श्रावण मास पर्यन्त भगवान् शिव के प्रतिष्ठित मन्दिरों, ज्योतिर्लिङ्गों, विग्रहों,स्वरूपों तथा क्षेत्रीय मन्दिरों में श्रद्धारूपी श्रीगङ्गाजल अभिषेक किया जाता है। कुछ विद्वान लोगों को भ्रम है कि श्रावण-भाद्रपद मास में नदियां रजस्वलारूप हो जाने से उनका जल पवित्र नहीं होता। परन्तु – ये सभी नंदसंज्ञा वाली नदियां रजोदोष से युक्त नहीं होती है। ये सभी अवस्थाओं में निर्मल रहती हैं। स्कन्दपुराण में स्पष्ट लिखा है कि सिन्धु, सूती, चन्द्रभागा, गंगा, सरयू, नर्मदा, यमुना, प्लक्षजाला, सरस्वती – श्री गंगादि तीर्थों से जल लाने एवं भगवान् शिवपूजन एवं शिवलिङ्ग को जलाभिषेक करने की शुभ एवं पुण्य तारीखें-
प्रातःकाल का समय ही श्रेष्ठ (सूर्योदय से लगभग 2-24 तक) रहेगा । दिनांक 2 अगस्त, 2024 ई., शुक्रवार को प्रदोषकाल तथा 1 अगस्त, गुरुवार को प्रदोषकाल के समय मुख्य मुहूर्त है । कुछ ज्योतिषी मुख्य मुहूर्त वाले दिन (श्रावण-शिवरात्रि 2 अगस्त) प्रदोष व निशीथकाल में जलाभिषेक करने को कहते है । यद्यपि आर्द्रा नक्षत्र विशेष रूप से शिव-पूजन तथा जलाभिषेक के लिए शुभ माना जाता है। शुभ मुहर्त – (1) 1 अगस्त सायं 15:55 बाद से 19-56 तक,(ii) 2 अगस्त सूर्योदय से, प्रातः 9:35 तक, सायं 16:02 से 19:50 तक, (iii) 3 अगस्त प्रातः 9:30 तक |
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शिवलिंग पर जलाभिषेक करने के दौरान इनमे से कोई एक मंत्र बोल सकते है
ॐ नमः शिवाय।
ॐ शर्वाय नम:।
ॐ विरूपाक्षाय नम:।
ॐ विश्वरूपिणे नम:।
ॐ त्र्यम्बकाय नम:।
ॐ कपर्दिने नम:।
ॐ भैरवाय नम:।
ॐ शूलपाणये नम:।
ॐ नमो भगवते रूद्राय नम:
इस दिन आप महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें तो भी अच्छा रहेगा।
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥