श्राद्ध दिवस आश्विन मास, कृष्ण पक्ष 2081, सितंबर-अक्टूबर 2024
पितृपक्ष में पितरों को तृप्त करने के लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध करने की परंपरा है। वैदिक परम्परा में मान्यता है कि पितृपक्ष में श्राद्ध करने से पितरों का आशीर्वाद उनके परिजनों को मिलता है,परिवार समृद्ध होता है ओर सन्तान सुख मिलता है ।
पौराणिक धार्मिक शास्त्रों के अनुसार जो स्वजन अपने शरीर को छोड़कर चले गए हैं चाहे वे किसी भी रूप में अथवा किसी भी लोक में हों, उनकी तृप्ति और सद्गति के लिए श्रद्धा के साथ जो शुभ संकल्प और तर्पण किया जाता है,उसे श्राद्ध कहते है। लोक मान्यता के अनुसार पितृपक्ष में नई वस्तु खरीदते व मांगलिक कार्य नहीं करते |
पितृ, पितामह और प्रपितामहों को हम श्राद्ध से तृप्त करते हैं और नमन कर उनकी पूजा करते हैं | सनातन संस्कृति में पितरों के श्राद्ध कर्म को महत्वपूर्ण माना गया है और इसे श्रदा पूर्वक हमारे समाज में सभी करते हैं, ऐसा मानना है कि,जो लोग पितरों का श्राद्ध नहीं करते उन्हें पितृदोष से पीड़ित होना पड़ता है | अपने देवों, परिवार, वंश परंपरा, संस्कृति और इष्ट के प्रति श्रद्धा रखना ही इसका उदेश्य है ।
दि. 17- पूर्णिमा का श्राद्ध,दि. 18- एकम का श्राद्ध,
दि. 19- द्वितीया का श्राद्ध,दि. 20- तृतीया का श्राद्ध,
दि. 21- चतुर्थी का श्राद्ध, भरणी का श्राद्ध,दि. 22- पंचमी का श्राद्ध
दि. 23- षष्ठी का श्राद्ध,दि. 24- सप्तमी का श्राद्ध,
दि. 25- अष्टमी का श्राद्ध,दि. 26- नवमी का श्राद्ध, सौभाग्यवती श्राद्ध,
दि. 27- दशमी का श्राद्ध नंदि. 28- एकादशी का श्राद्ध,दि.पंचमी
29- द्वादशी का श्राद्ध, संन्यासियों का श्राद्ध, दि. 30- त्रयोदशी का श्राद्ध,
दि. 1 चतुर्दशी श्राद्ध, अपमृत्यु वालों का श्राद्ध, जल-शस्त्र-अग्नि विषादि से श्राद्ध,
दि. 2 – सर्वपित्र श्राद्ध, अज्ञात मृत्यु वालों का श्राद्ध,दि. 3 – मातामाह श्राद्ध
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें शर्मा जी 9312002527
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