मतदान हमारा अधिकर ओर कर्तव्य

मतदान हमारा अधिकर ओर कर्तव्य  

सतीश शर्मा  

मतदान हमारा अधिकार भी है ओर कर्तव्य भी, मतदान एक संवैधानिक अधिकार है | भारतीय  संविधान के अनुसार देश के नागरिकों को देश के संविधान द्वारा प्रदत्त सरकार चलाने के हेतु,अपने प्रतिनिधि निर्वाचित करने के का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 326 के अनुसार मिला है। लोकतंत्र का अर्थ ही है जनता की, जनता के द्वारा, जनता के लिए सरकार इसी लिए मतदान का लोकतंत्र में इसका बहुत महत्व होता है । भारतीय संविधान के अनुसार, 18 वर्ष से अधिक आयु के सभी भारतीय नागरिक जिन्होंने खुद को मतदाता के रूप में पंजीकृत किया है, वे मतदान करने के योग्य  हैं। मतदाता सूची मे पंजीकृत नागरिक राष्ट्रीय,राज्य,जिला और स्थानीय सरकारी निकाय चुनावों में मतदान कर सकते हैं। मतदाता केवल उसी निर्वाचन क्षेत्र में मतदान कर सकता है जहां उसने खुद को पंजीकृत किया है। मतदाताओं को उस निर्वाचन क्षेत्र में खुद को पंजीकृत करना होता है  जहां वे रहते हैं, जिसके बाद उन्हें फोटो चुनाव पहचान पत्र (जिसे ई पी आई सी कार्ड भी कहा जाता है) जारी किया जाता है । यदि किसी व्यक्ति ने मतदाता सूची मे नाम नहीं लिख वाया है तो उसे चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति नहीं है । ये हमारा कर्तव्य है हम अपना नाम मतदाता सूची मे लिखवा लें ओर समय-समय पर मतदाता सूची का अवलोकन भी करते रहें ताकि ये सुनिश्चित रहे की हमारा नाम सूची मे है |

भारतीय संविधान मे  मतदाताओं के कुछ अधिकार भी दिए गए हैं। सभी नागरिकों  को चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के बारे में जानने का अधिकार है। यह अधिकार भारतीय संविधान की धारा 19 के तहत मतदाताओं को दिया गया है। यह धारा मतदाताओं को उम्मीदवारों के चुनाव घोषणापत्र, उनकी कुल वित्तीय संपत्ति और उनके आपराधिक रिकॉर्ड (यदि कोई हो तो) से संबंधित जानकारी मांगने का अधिकार देती है। मतदाताओं को वोट न देने का अधिकार दिया गया है,जिसे सिस्टम में दर्ज किया जाता है। इसे NOTA (इनमें से कोई नहीं) वोट के रूप में भी जाना जाता है, मतदाता चुनाव में भाग लेता है लेकिन चुनाव लड़ रहे किसी भी उम्मीदवार को वोट नहीं देने का विकल्प चुनता है। इस प्रकार,मतदाता चुनावी प्रक्रिया में भाग ले रहे हैं और यह चुनने के अपने अधिकार का प्रयोग कर रहे हैं कि वे चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों को वोट देना चाहते हैं या नहीं। जो मतदाता शारीरिक विकलांगता या अन्य दुर्बलता के कारण वोट डालने में असमर्थ हैं तथा डाक मतपत्र के माध्यम से अपना वोट नहीं डाल सकते, वे निर्वाचन अधिकारी की सहायता ले सकते हैं, जो उनका वोट दर्ज करेगा। सीमा पर नियुक्त या ऐसे कर्मचारी जिनकी चुनाव आयोग द्वारा उनकी सेवा मतदान वाले दिन चुनाव केंद्रों पर है वह सब डाक मत पत्र द्वारा मतदान कर सकते है | पहले  एनआरआई (अनिवासी भारतीय) को वोट देने की अनुमति नहीं थी। हालाँकि 2010 में एक संशोधन किया गया था जो एन आर आई को मतदाता के रूप में खुद को पंजीकृत करने और चुनावों में मतदान करने की अनुमति देता है, भले ही वे किसी भी कारण से 6 महीने से अधिक समय तक देश में न रहे हों।

वर्तमान कानून के अनुसार कैदियों को अपने मताधिकार का प्रयोग करने की अनुमति नहीं है।

प्रस्तुत मत उस व्यक्ति पर लागू होता है जो खुद को मतदाता घोषित करता है और अपना वोट डालना चाहता है जबकि उसके नाम पर पहले ही वोट डाला जा चुका है। ऐसे मामले में व्यक्ति अपना वोट डाल सकता है यदि वह अपनी पहचान का सबूत दे सकता है। उसका वोट चुनाव आयोग द्वारा तय किए गए एक अलग मतपत्र पर दर्ज किया जाएगा।

मतदान का बहुत महत्व है विश्व मे  ऐसे अनेकों  उदाहरण  है, जब महज एक वोट से हार हो गई । ए आई ए डी एम के के समर्थन वापस लेने के बाद वाजपेयी सरकार को विश्वास प्रस्ताव रखना पड़ा। विश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 269 और विरोध में 270 वोट पड़े और अटल बिहारी वाजपेयी  की सरकार चली गई  | राजस्थान विधानसभा के चुनाव में सीपी जोशी को 62,215 व कल्याण सिंह को 62,216 वोट मिले जोशी सीएम के प्रमुख उमीदवार थे। गौर करने  कि बात है की उनकी मां,पत्नी व ड्राइवर ने वोट नहीं डाला था। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जे डी एस के ए आर कृष्णमूर्ति को 40,751 मत मिले और कांग्रेस के आर ध्रुवनारायण को 40,752 वोट मिले । ए आर कृष्णमूर्ति के ड्राइवर को छुट्‌टी न मिलने के कारण वह  वोट नहीं डाल पाया था। 1885 में फ्रांस की  राजशाही एक वोट कम होने से  खत्म हुई और लोकतंत्र का आगाज हुआ ।  अमेरिका को 1776 में  एक वोट के  कारण जर्मन की जगह अंग्रेजी के रूप में उनको  मातृभाषा मिली थी। अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए हुए 1876 के चुनाव में रदरफोर्ड बी हायेस ने 185 वोट हासिल किए थे और सैमुअल टिलडे़न को 184 मत मिले थे । एक ओर उद्धरण है एक वोट से  1910 में रिपब्लिक उम्मीदवार हार गया था । जर्मनी के लोग जानते हैं  एक वोट की ताकत, 1923 में एडोल्फ हिटलर एक वोट से जीत कर नाजी दल का मुखिया बन गया था।

आपके वोट में महत्वपूर्ण बदलाव लाने की क्षमता है। आप बेहतर सरकार के लिए वोट कर सकते हैं। अगर लोग वोट नहीं देते हैं, तो वही पार्टी अगले पांच साल तक सत्ता में रहेगी जिसको आप हटना/लाना चाहते है । अंत में, अगर देश में शासन ठीक से काम नहीं कर रहा तो यह लोगों की गलती है कि उन्होंने गलत तरीके से वोट दिया या बिल्कुल भी वोट नहीं दिया। हालांकि ऐसा लगता है कि वोट देने वालों की कोई कमी नहीं है, लेकिन हर वोट का महत्व है ओर वो बदलाव ला सकता है। जब अधिकांश लोगों का मत यह हो जाए की  “मेरे एक वोट से  कोई फर्क नहीं पड़ता” तो मतदान प्रतिशत कम होता,इस सोच को बदलना पड़े़गा | इस हेतु चुनाव आयोग भी विभिन्न समय पर मतदाताओं को जागरूक करने के लिए अनेकों कार्यक्रम करता है। देश को विकास की ओर ले जाने वाली  सरकार बने ये जिम्मेदारी हम सबकी है । अरस्तू ने कहा था की जैसे राजतन्त्र तानाशाह मे बदलता है वैसे ही लोकतंत्र भीड़़तंत्र में बदल जाता हैं | लोकतंत्र भीड़़तंत्र में ना बदले ये हम को देखना पड़े़गा | मतदान करें ओर मतदान करने के लिए प्रेरित करें |

सतीश शर्मा केशव भाग संघचालक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नोएडा ।

 

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