नवम्बर मास 2024 का पंचांग 

नवम्बर मास 2024 का पंचांग 

भारतीय व्रतोत्सव नवम्बर – 2024

दि. 1- दीपावली, अमावस्या पुण्य,दि. 2- गोवर्धन पूजा, अन्नकूट, बलि पूजा,दि. 3- विश्वकर्मा पूजा, भाई दूज, यम द्वितीया, चित्रगुप्त पूजा,दि. 5- विनायक चतुर्थी व्रत,दि. 6- गुरु गोविन्द सिंह बलि. दिवस,दि. 7- सूर्य षष्ठी,दि. 9- गोपाष्टमी, दुर्गाष्टमी,दि. 10- अक्षया-कूष्माण्ड-आमला,दि. 12- देव प्रबोधिनी एकादशी व्रत, तुलसी विवाह, भीष्म पंचक प्रा.,दि. 13- प्रदोष व्रत,दि. 14- वैकुण्ठ चतुर्दशी,दि. 15- सत्य व्रत, कार्तिक पूर्णिमा, श्री पुष्करराज मेला (गढ़गंगा), श्री गुरुनानक जयंती, भीष्म पंचक समाप्त, चातुर्मास व्रत नियम पूर्ण, कार्तिक स्नान पूर्ण,दि. 16- संक्रांति पुण्य,दि. 18- गणेश चतुर्थी व्रत,दि. 26- उत्पन्ना एकादशी व्रत,दि. 28- प्रदोष व्रत, संत ज्ञानेश्वर पुण्य तिथि,दि. 29- मासशिवरात्रि,दि. 23- काल भैरवाष्टमी

 मूल विचार नवम्बर -2024

दि. 4 को 8/03 से दि. 6 को 11/00 तक, दि. 13 को  5/40 से दि. 15 को  0/32 तक, दि. 21 को 15/35 से दि. 23 को 19/27 बजे तक गण्ड मूल नक्षत्र है

ग्रह स्थिति नवम्बर -2024

दि. 7 शुक्र धनु में,दि. 15 शनि मार्गी,दि. 16 सूर्य वृश्चिक में,दि. 26 बुध वक्री,दि. 30 बुध पश्चिमास्त

पंचक विचार नवम्बर -2024  

पंचक विचार -(धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण से रेवती नक्षत्र तक) पंचको में दक्षिण दिशा की ओर यात्रा करना मकान दुकान आदि की छत डालना चारपाई पलंग आदि बुनना,दाह संस्कार,बांस की चटाई दीवार प्रारंभ करना आदि स्तंभ रोपण तांबा पीतल तृण काष्ट आदि का संचय करना आदि कार्यों का निषेध माना जाता है समुचित उपाय एवं पंचक शांति करवा कर ही उक्त कार्यों का संपादन करना कल्याणकारी होगा ध्यान रहेगा  पंचर नक्षत्रों का विचार मात्र उपरोक्त विशेष कृतियों के लिए ही किया जाता है विवाह मंडल आरंभ गृह प्रवेश प्रवेश उपनयन आदि मुद्दों से तो पंचक नक्षत्रका प्रयोग शुभ माना जाता है पंचक विचार- दिनांक 09 – को 23-27 से दिनांक – 14 को 03-10 बजे तक पंचक है। 

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे शर्मा जी – 9312002527,9560518227

भद्रा विचार नवम्बर  -2024

भद्रा काल का शुभ अशुभ विचार – भद्रा काल में विवाह मुंडन, गृह प्रवेश, रक्षाबंधन आदि मांगलिक कृत्य का निषेध माना जाता है परंतु भद्रा काल में शत्रु का उच्चाटन करना,स्त्री प्रसंग में,यज्ञ करना,स्नान करना,अस्त्र शस्त्र का प्रयोग,ऑपरेशन कराना, मुकदमा करना,अग्नि लगाना,किसी वस्तु को काटना,भैस,घोड़ा व ऊंट संबंधी कार्य प्रशस्त माने जाते हैं सामान्य परिस्थिति में विवाह आदि शुभ मुहूर्त में भद्रा का त्याग करना चाहिए परंतु आवश्यक परिस्थितिवश अतिआवश्यक कार्य भूलोक की भद्रा ,भद्रा मुख छोड़कर कर भद्रा पुच्छ में शुभ कार्य कर सकते है |

दि. 5 को 11/54 से दिः 6 को 0/17 तक, दि. 8 को 23/56 से दि. 9 को 11/25 तक, दि. 12 को 5/25 से 16/05 तक,दि. 15 को 6/19 से 16/37 तक, दि. 18 को 7/56 से 18/56 तक, दि. 21 को 17/03 से दि. 22 को 5/35 तक, दि. 25 को 11/39 से दि. 26 को 1/01 तक, दि. 29 को 8/40 से 21/35 बजे तक भद्रा है।

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे शर्मा जी – 9312002527,9560518227

सर्वार्थ सिद्धि योग नवम्बर -2024 

दैनिक जीवन में आने वाले महत्वपूर्ण कार्यों के लिए शीघ्र ही किसी  शुभ मुहूर्त का अभाव हो,किंतु शुभ मुहर्त के लिए अधिक दिनों तक रुका ना जा सकता हो तो इन सुयोग्य वाले मुहर्तु  को सफलता से ग्रहण किया जा सकता है | इन से प्राप्त होने वाले अभीष्ट फल के विषय में संशय नहीं करना चाहिए यह योग हैं सर्वार्थ सिद्धि,अमृत सिद्धि योग एवं रवियोग | योग्यता नाम तथा गुण अनुसार सर्वांगीण सिद्ध कारक  है| 

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे शर्मा जी – 9312002527,9560518227

दिनांक प्रारंभ दिनांक समाप्त
04  06-39 04 08-03
08 12-03 09 11-47
12 07-52 13 05-40
14 06-47 15 00-32
16 19-27 17 06-49
18 06-50 18 15-48
21 06-53 21 15-35
24 22-16 25 06-56

चौघड़िया मुहूर्त 

चौघड़िया मुहूर्त देखकर कार्य या यात्रा करना उत्तम होता है। एक तिथि के लिये दिवस और रात्रि के आठ-आठ भाग का एक चौघड़िया निश्चित है। इस प्रकार से 12 घंटे का दिन और 12 घंटे की रात मानें तो प्रत्येक में 90 मिनट यानि 1.30 घण्टे का एक चौघड़िया होता है जो सूर्योदय से प्रारंभ होता है|

सुर्य उदय- सुर्य अस्त नवम्बर -2024 

दिनांक  01  05  10  15 20  25  30
उदय  06-34 06-37 06-41 06-45 06-49 06-53 06-57
अस्त  17-33 17-30 17-27 17-25 17-23 17-22 17-22

 

 राहू काल 

 राहुकाल -राहुकाल दक्षिण भारत की देन है,दक्षिण भारत में राहु काल में कृत्य करना अच्छा नहीं माना जाता, राहु काल में शुभ कृतियों में वर्जित करने की परंपरा अब हमारे उत्तरी भारत में भी अपनाने लगे हैं राहुकाल प्रतिदिन सूर्यादि वारों में भिन्न-भिन्न समय पर केवल डेढ़ डेढ़ घंटे के लिए घटित होता है |

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे शर्मा जी – 9312002527,9560518227

  मांगलिक दोष विचार परिहार

वर अथवा कन्या दोनों में से किसी की भी कुंडली में 1,4,7,8 व 12 भाव में मंगल होने से ये मांगलिक माने जाते हैं,मंगली से मंगली के विवाह में दोष न होते हुए भी जन्म पत्रिका के अनुसार गुणों को मिलाना ही चाहिए यदि मंगल के साथ शनि अथवा राहु केतु भी हो तो प्रबल मंगली डबल मंगली योग होता है | इसी प्रकार गुरु अथवा चंद्रमा केंद्र हो तो दोष का परिहार भी हो जाता है |इसके अतिरिक्त मेष वृश्चिक मकर का मंगल होने से भी दोष नष्ट हो जाता है | इसी प्रकार यदि वर या कन्या किसी भी कुंडली में 1,4,7,9,12 स्थानों में शनि हो केंद्र त्रिकोण भावो में शुभ ग्रह, 3,6,11 भावो में पाप ग्रह हों तो भी मंगलीक दोष का आंशिक परिहार होता है, सप्तम ग्रह में यदि सप्तमेश हो तो भी दोष निवृत्त होता है |

स्वयं सिद्ध मुहूर्त

 स्वयं सिद्ध मुहूर्त चैत्र शुक्ल प्रतिपदा वैशाख शुक्ल तृतीया अक्षय तृतीया आश्विन शुक्ल दशमी विजयदशमी दीपावली के प्रदोष काल का आधा भाग भारत में से इसके अतिरिक्त लोकाचार और देश आचार्य के अनुसार निम्नलिखित कृतियों को भी स्वयं सिद्ध मुहूर्त माना जाता है बडावली नामी देव प्रबोधिनी एकादशी बसंत पंचमी फुलेरा दूज इन में से किसी भी कार्य को करने के लिए पंचांग शुद्धि देखने की आवश्यकता नहीं है परंतु विवाह आदि में तो पंचांग में दिए गए मुहूर्त व कार्य करना श्रेष्ठ रहता है।

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अक्टूबर मास 2024 का पंचांग 

भारतीय व्रतोत्सव अक्टूबर -2024

दि. 2- अमावस्या पुण्य,दि. 3- नवरात्र प्रा., अग्रसेन जयंती,दि. 6- विनायक चतुर्थी व्रत,दि. 8- उपांग ललिता पंचमी,दि. १- सरस्वती आवाहन,दि. 10- सरस्वती पूजन,दि. 11- दुर्गाष्टमी, महाष्टमी व्रत, सरस्वती बलिदान,दि. 12- सरस्वती विसर्जन, महानवमी, नवरात्र पूर्ण, विजयादशमी,दि. 13- भरत मिलाप, पापांकुशा एकादशी व्रत (स्मा.),दि. 14- पापांकुशा एकादशी व्रत (वै.),दि. 15- भौम प्रदोष व्रत,दि. 16- सत्य व्रत, कोजागरी व्रत,दि. 17- संक्रांति पुण्य, शरद् पूर्णिमा, वाल्मीकि जयंती, कार्तिक स्नान प्रारम्भ,दि. 20- करवा चौथ, गणेश चतुर्थी व्रत,दि. 24- कालाष्टमी, अहोई अष्टमी व्रत,दि.28- रमा एकादशी व्रत, गोवत्स द्वादशी,दि. 29- भौम प्रदोष व्रत, यमदीप दान,दि.30- धनतेरस, धन्वंतरी जयंती, मास शिवरात्रि दि.31- नरकहरा चतुर्दशी, हनुमान जयंती

मूल विचार अक्टूबर -2024

दि. 8 को 2/24 से दि. 110 को 5/14 तक, दि. 16 को 19/17 से दि. 18 को 13/26 तक, दि. 25 को 7/39 से दि. 27 को 12/23 बजे • तक गण्डमूल नक्षत्र हैं।

ग्रह स्थिति अक्टूबर -2024

दि. 9 गुरु वक्री दि. 10 बुध तुला में दि. 13 शुक्र वृश्चिक में दि. 17 सूर्य तुला में दि. 20 मंगल कर्क में दि. 23 बुध पश्चिमोदय दि. 29 बुध वृश्चिक में

पंचक विचार अक्टूबर-2024  

पंचक विचार -(धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण से रेवती नक्षत्र तक) पंचको में दक्षिण दिशा की ओर यात्रा करना मकान दुकान आदि की छत डालना चारपाई पलंग आदि बुनना,दाह संस्कार,बांस की चटाई दीवार प्रारंभ करना आदि स्तंभ रोपण तांबा पीतल तृण काष्ट आदि का संचय करना आदि कार्यों का निषेध माना जाता है समुचित उपाय एवं पंचक शांति करवा कर ही उक्त कार्यों का संपादन करना कल्याणकारी होगा ध्यान रहेगा  पंचर नक्षत्रों का विचार मात्र उपरोक्त विशेष कृतियों के लिए ही किया जाता है विवाह मंडल आरंभ गृह प्रवेश प्रवेश उपनयन आदि मुद्दों से तो पंचक नक्षत्रका प्रयोग शुभ माना जाता है पंचक विचार- दिनांक 13 को 15-53 बजे से दिनांक 17 को 16-20 तक पंचक है | 

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे शर्मा जी – 9312002527,9560518227

भद्रा विचार अक्टूबर -2024

भद्रा काल का शुभ अशुभ विचार – भद्रा काल में विवाह मुंडन, गृह प्रवेश, रक्षाबंधन आदि मांगलिक कृत्य का निषेध माना जाता है परंतु भद्रा काल में शत्रु का उच्चाटन करना,स्त्री प्रसंग में,यज्ञ करना,स्नान करना,अस्त्र शस्त्र का प्रयोग,ऑपरेशन कराना, मुकदमा करना,अग्नि लगाना,किसी वस्तु को काटना,भैस,घोड़ा व ऊंट संबंधी कार्य प्रशस्त माने जाते हैं सामान्य परिस्थिति में विवाह आदि शुभ मुहूर्त में भद्रा का त्याग करना चाहिए परंतु आवश्यक परिस्थितिवश अतिआवश्यक कार्य भूलोक की भद्रा ,भद्रा मुख छोड़कर कर भद्रा पुच्छ में शुभ कार्य कर सकते है |

दि. 1 को 8/21 तक, दि. 6 को 20/48 से दि. 7 को 9/47 तक, दि. 10 को 12/31 से दि. 11 को 00/18 तक, दि. 13 को 19/54 से दि. 14 को 6/41 तक, दि. 16 को 20/04 से दि. 17 को 6/48 तक, दि. 19 को 20/17 से दि. 20 को 6/46 तक, दि. 23 को 1/29 से 13/00 तक, दि. 26 को 16/19 से दि. 27 को 5/24 तक, दि. 30 को 13/15 से दि. 31 को 2/34 बजे तक भद्रा है।

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे शर्मा जी – 9312002527,9560518227

सर्वार्थ सिद्धि योग अक्टूबर -2024 

दैनिक जीवन में आने वाले महत्वपूर्ण कार्यों के लिए शीघ्र ही किसी  शुभ मुहूर्त का अभाव हो,किंतु शुभ मुहर्त के लिए अधिक दिनों तक रुका ना जा सकता हो तो इन सुयोग्य वाले मुहर्तु  को सफलता से ग्रहण किया जा सकता है | इन से प्राप्त होने वाले अभीष्ट फल के विषय में संशय नहीं करना चाहिए यह योग हैं सर्वार्थ सिद्धि,अमृत सिद्धि योग एवं रवियोग | योग्यता नाम तथा गुण अनुसार सर्वांगीण सिद्ध कारक  है| 

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे शर्मा जी – 9312002527,9560518227

दिनांक प्रारंभ दिनांक समाप्त
02  12-22 03 06-19
05 06-20 05 21-33
06 06-21 07 02-24
12 06-24 13 04-27
15 22-08 16 06-26
17 06-27 18 13-26
21 06-30 22 05-50
24 06-32 25 06-33
30 06-36 30 21-43

चौघड़िया मुहूर्त 

चौघड़िया मुहूर्त देखकर कार्य या यात्रा करना उत्तम होता है। एक तिथि के लिये दिवस और रात्रि के आठ-आठ भाग का एक चौघड़िया निश्चित है। इस प्रकार से 12 घंटे का दिन और 12 घंटे की रात मानें तो प्रत्येक में 90 मिनट यानि 1.30 घण्टे का एक चौघड़िया होता है जो सूर्योदय से प्रारंभ होता है|

सुर्य उदय- सुर्य अस्त अक्टूबर -2024 

दिनांक  01  05  10  15 20  25  30
उदय  06-17  06-19 06-20 06-23 06-29 06-31 06-33
अस्त  18-24 17-59 17-24 17-48 17-43 17-38 17-35

 राहू काल 

 राहुकाल -राहुकाल दक्षिण भारत की देन है,दक्षिण भारत में राहु काल में कृत्य करना अच्छा नहीं माना जाता, राहु काल में शुभ कृतियों में वर्जित करने की परंपरा अब हमारे उत्तरी भारत में भी अपनाने लगे हैं राहुकाल प्रतिदिन सूर्यादि वारों में भिन्न-भिन्न समय पर केवल डेढ़ डेढ़ घंटे के लिए घटित होता है |

  मांगलिक दोष विचार परिहार

वर अथवा कन्या दोनों में से किसी की भी कुंडली में 1,4,7,8 व 12 भाव में मंगल होने से ये मांगलिक माने जाते हैं,मंगली से मंगली के विवाह में दोष न होते हुए भी जन्म पत्रिका के अनुसार गुणों को मिलाना ही चाहिए यदि मंगल के साथ शनि अथवा राहु केतु भी हो तो प्रबल मंगली डबल मंगली योग होता है | इसी प्रकार गुरु अथवा चंद्रमा केंद्र हो तो दोष का परिहार भी हो जाता है |इसके अतिरिक्त मेष वृश्चिक मकर का मंगल होने से भी दोष नष्ट हो जाता है | इसी प्रकार यदि वर या कन्या किसी भी कुंडली में 1,4,7,9,12 स्थानों में शनि हो केंद्र त्रिकोण भावो में शुभ ग्रह, 3,6,11 भावो में पाप ग्रह हों तो भी मंगलीक दोष का आंशिक परिहार होता है, सप्तम ग्रह में यदि सप्तमेश हो तो भी दोष निवृत्त होता है |

स्वयं सिद्ध मुहूर्त

 स्वयं सिद्ध मुहूर्त चैत्र शुक्ल प्रतिपदा वैशाख शुक्ल तृतीया अक्षय तृतीया आश्विन शुक्ल दशमी विजयदशमी दीपावली के प्रदोष काल का आधा भाग भारत में से इसके अतिरिक्त लोकाचार और देश आचार्य के अनुसार निम्नलिखित कृतियों को भी स्वयं सिद्ध मुहूर्त माना जाता है बडावली नामी देव प्रबोधिनी एकादशी बसंत पंचमी फुलेरा दूज इन में से किसी भी कार्य को करने के लिए पंचांग शुद्धि देखने की आवश्यकता नहीं है परंतु विवाह आदि में तो पंचांग में दिए गए मुहूर्त व कार्य करना श्रेष्ठ रहता है।

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे शर्मा जी – 9312002527,9560518227

सितंबर मास 2024 का पंचांग 

भारतीय व्रतोत्सव सितंबर – 2024

1- मास शिवरात्रि,दि. 2- कुशोत्पाटिनी-पिठौरी-सोमवती अमावस्या दि. 6- वाराह जयंती, हरितालिका तीज,दि. 7-श्री गणेश जन्मोत्सव, कलंक चतुर्थी, चंद्रदर्शन निषेध, सिद्धि विनायक व्रत,दि. 9 – सूर्य षष्ठी, बलदेव षष्ठी, मेला बृज मण्डल,दि.10-मुक्ताभरण सप्तमी, ज्येष्ठा गौरी आवाहन,दि.11-दुर्गाष्टमी, भागवत सप्ताह प्रा., राधाष्टमी, महालक्ष्मी व्रत प्रा.,दि. 13- रामदेव जी का मेला (नवलदुर्ग),दि. 14- प‌द्मा एकादशी व्रत, जलझूलनी मेला, श्री चारभुजानाथ, गणगौर (मेवाड़),दि. 15- वामन जयंती, प्रदोष व्रत,दि. 16-संक्राति पुण्य,दि. 17 अनन्त चतुर्दशी, विश्वकर्मा पूजन, सत्य प्रत, भागवत सप्ताह समाप्त, श्राद्ध प्रारम्भ, प्रौष्तपदी पूर्णिमा श्राद्ध,दि. 20-गणेश चतुर्थी व्रत,दि. 24-कालाष्टमी,श्री महालक्ष्मी व्रत समाप्त,,दि. 25 जीवितपुत्रिका व्रत,दि. 28- इंद्रा एकादशी व्रत,दि.30 – सोम प्रदोष व्रत,मास शिवरात्रि

 श्राद्ध दिवस आश्विन मास, कृष्ण पक्ष 2081, सितंबर-अक्टूबर 2024 

दि. 17- पूर्णिमा का श्राद्ध,दि. 18- एकम का श्राद्ध,दि. 19- द्वितीया का श्राद्ध,दि. 20- तृतीया का श्राद्ध,दि. 21- चतुर्थी का श्राद्ध, भरणी का श्राद्ध,दि. 22- द दि. 23- पंचमी का श्राद्ध षष्ठी का श्राद्ध,दि. 24- सप्तमी का श्राद्ध,दि. 25- अष्टमी का श्राद्ध,दि. 26- नवमी का श्राद्ध, सौभाग्यवती श्राद्ध,दि. 27- दशमी का श्राद्ध नंदि. 28- एकादशी का श्राद्ध,दि. 29- द्वादशी का श्राद्ध, संन्यासियों का श्राद्ध,दि. 30- त्रयोदशी का श्राद्ध,दि. 1 चतुर्दशी श्राद्ध, अपमृत्यु वालों का श्राद्ध, जल-शस्त्र-अग्नि विषादि से श्राद्ध,दि. 2 – सर्वपित्र श्राद्ध, अज्ञात मृत्यु वालों का श्राद्ध,दि. 3 – मातामाह श्राद्ध

मूल विचार सितंबर -2024

मासारंभ से दि. 3 को 00/20 तक, दि. 10 को 20/03 से दि. 12 को 21/52 तक, दि. 19 को 8/03 से दि. 21 को 02/52 तक, दि. 28 को 01/20 से दि. 30 को 06/18 बजे तक गण्ड मूल नक्षत्र हैं।

ग्रह स्थिति सितंबर -2024

दि. 4 बुध सिंह में दि. 16 सूर्य कन्या में दि. 18 तुला में शुक्र दि. 19 बुध पूर्वास्त दि. 23 कन्या में बुध

पंचक विचार सितंबर -2024  

पंचक विचार -(धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण से रेवती नक्षत्र तक) पंचको में दक्षिण दिशा की ओर यात्रा करना मकान दुकान आदि की छत डालना चारपाई पलंग आदि बुनना,दाह संस्कार,बांस की चटाई दीवार प्रारंभ करना आदि स्तंभ रोपण तांबा पीतल तृण काष्ट आदि का संचय करना आदि कार्यों का निषेध माना जाता है समुचित उपाय एवं पंचक शांति करवा कर ही उक्त कार्यों का संपादन करना कल्याणकारी होगा ध्यान रहेगा  पंचर नक्षत्रों का विचार मात्र उपरोक्त विशेष कृतियों के लिए ही किया जाता है विवाह मंडल आरंभ गृह प्रवेश प्रवेश उपनयन आदि मुद्दों से तो पंचक नक्षत्रका प्रयोग शुभ माना जाता है पंचक विचार- दिनांक 16 – को 05-54 से दिनांक – 20 को 05-14 बजे तक पंचक है। 

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे शर्मा जी – 9312002527,9560518227

भद्रा विचार सितंबर  -2024

भद्रा काल का शुभ अशुभ विचार – भद्रा काल में विवाह मुंडन, गृह प्रवेश, रक्षाबंधन आदि मांगलिक कृत्य का निषेध माना जाता है परंतु भद्रा काल में शत्रु का उच्चाटन करना,स्त्री प्रसंग में,यज्ञ करना,स्नान करना,अस्त्र शस्त्र का प्रयोग,ऑपरेशन कराना, मुकदमा करना,अग्नि लगाना,किसी वस्तु को काटना,भैस,घोड़ा व ऊंट संबंधी कार्य प्रशस्त माने जाते हैं सामान्य परिस्थिति में विवाह आदि शुभ मुहूर्त में भद्रा का त्याग करना चाहिए परंतु आवश्यक परिस्थितिवश अतिआवश्यक कार्य भूलोक की भद्रा ,भद्रा मुख छोड़कर कर भद्रा पुच्छ में शुभ कार्य कर सकते है |

दि. 1 को 3/41 से 16/28 तक, दि. 7 को 4/19 से 17/37 तक, दि. 10 को 23/12 से दि. 11 को 11/35 तक, दि. 14 को 9/35 से 20/41 तक, दि. 17 को 11/44 से 21/54 तक, दि. 20 को 10/55 से 21/15 तक, दि. 23 को 13/50 से दि. 24 को 1/14 तक, दि. 27 को 0/52 से 13/20 तक, दि. 30 को 19/06 से दि. 1 अक्टूबर को 8/21 बजे तक भद्रा है।

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे शर्मा जी – 9312002527,9560518227

सर्वार्थ सिद्धि योग सितंबर -2024 

दैनिक जीवन में आने वाले महत्वपूर्ण कार्यों के लिए शीघ्र ही किसी  शुभ मुहूर्त का अभाव हो,किंतु शुभ मुहर्त के लिए अधिक दिनों तक रुका ना जा सकता हो तो इन सुयोग्य वाले मुहर्तु  को सफलता से ग्रहण किया जा सकता है | इन से प्राप्त होने वाले अभीष्ट फल के विषय में संशय नहीं करना चाहिए यह योग हैं सर्वार्थ सिद्धि,अमृत सिद्धि योग एवं रवियोग | योग्यता नाम तथा गुण अनुसार सर्वांगीण सिद्ध कारक  है| 

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे शर्मा जी – 9312002527,9560518227

दिनांक प्रारंभ दिनांक समाप्त
07  12-33 08 06-06
09 18-04 10 06-07
14 20-32 15 06-10
19 08-03 21 02-42
23 06-13 24 06-14
26 06-15 27 06-16

चौघड़िया मुहूर्त 

चौघड़िया मुहूर्त देखकर कार्य या यात्रा करना उत्तम होता है। एक तिथि के लिये दिवस और रात्रि के आठ-आठ भाग का एक चौघड़िया निश्चित है। इस प्रकार से 12 घंटे का दिन और 12 घंटे की रात मानें तो प्रत्येक में 90 मिनट यानि 1.30 घण्टे का एक चौघड़िया होता है जो सूर्योदय से प्रारंभ होता है|

सुर्य उदय- सुर्य अस्त सितंबर -2024 

दिनांक  01  05  10  15 20  25  30
उदय  06-01 06-05 06-07 06-11 06-12 06-14 06-17
अस्त  18-40 18-36 18-30 18-24 18-18 18-12 18-06

 

 राहू काल 

 राहुकाल -राहुकाल दक्षिण भारत की देन है,दक्षिण भारत में राहु काल में कृत्य करना अच्छा नहीं माना जाता, राहु काल में शुभ कृतियों में वर्जित करने की परंपरा अब हमारे उत्तरी भारत में भी अपनाने लगे हैं राहुकाल प्रतिदिन सूर्यादि वारों में भिन्न-भिन्न समय पर केवल डेढ़ डेढ़ घंटे के लिए घटित होता है |

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे शर्मा जी – 9312002527,9560518227

  मांगलिक दोष विचार परिहार

वर अथवा कन्या दोनों में से किसी की भी कुंडली में 1,4,7,8 व 12 भाव में मंगल होने से ये मांगलिक माने जाते हैं,मंगली से मंगली के विवाह में दोष न होते हुए भी जन्म पत्रिका के अनुसार गुणों को मिलाना ही चाहिए यदि मंगल के साथ शनि अथवा राहु केतु भी हो तो प्रबल मंगली डबल मंगली योग होता है | इसी प्रकार गुरु अथवा चंद्रमा केंद्र हो तो दोष का परिहार भी हो जाता है |इसके अतिरिक्त मेष वृश्चिक मकर का मंगल होने से भी दोष नष्ट हो जाता है | इसी प्रकार यदि वर या कन्या किसी भी कुंडली में 1,4,7,9,12 स्थानों में शनि हो केंद्र त्रिकोण भावो में शुभ ग्रह, 3,6,11 भावो में पाप ग्रह हों तो भी मंगलीक दोष का आंशिक परिहार होता है, सप्तम ग्रह में यदि सप्तमेश हो तो भी दोष निवृत्त होता है |

स्वयं सिद्ध मुहूर्त

 स्वयं सिद्ध मुहूर्त चैत्र शुक्ल प्रतिपदा वैशाख शुक्ल तृतीया अक्षय तृतीया आश्विन शुक्ल दशमी विजयदशमी दीपावली के प्रदोष काल का आधा भाग भारत में से इसके अतिरिक्त लोकाचार और देश आचार्य के अनुसार निम्नलिखित कृतियों को भी स्वयं सिद्ध मुहूर्त माना जाता है बडावली नामी देव प्रबोधिनी एकादशी बसंत पंचमी फुलेरा दूज इन में से किसी भी कार्य को करने के लिए पंचांग शुद्धि देखने की आवश्यकता नहीं है परंतु विवाह आदि में तो पंचांग में दिए गए मुहूर्त व कार्य करना श्रेष्ठ रहता है।

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अगस्त मास 2024 का पंचांग 

भारतीय व्रतोत्सव अगस्त -2024

दि. 1-प्रदोष व्रत,दि. 2-मास शिवरात्रि,दि. 4- हरियाली अमावस्या,दि. 6-सिंधारा,दि. 7- मधुश्रवा तीज, मंगलागौरी पूजन, मेला छिन्नमस्तिका (चिंतपूर्णी),दि. 8- वरद् ‌चतुर्थी, विनायक चतुर्थी,दि. 9-नाग पंचमी,दि. 10-वरुण छठ, कल्कि जयंती,दि. 11-शीतला सप्तमी, गोस्वामी तुलसीदास जयंती,दि. 13-दुर्गाष्टमी, मेला नयना देवी व चिंतपूर्णी (हि.प्र.),दि. 16-पवित्रा एकादशी व्रत, संक्रांति पुण्य,दि. 17-शनि प्रदोष व्रत,दि. 19-सत्य व्रत, रक्षा बंधन, ऋषि तर्पण, गायत्री जयंती, हयग्रीव जयंती, अमरनाथ यात्रा,दि.22-कज्जली तीज, गणेश चतुर्थी व्रत, बहुला चौथ,दि. 24-चंद्र छठ, हलछठ,दि.26-श्री कृष्ण जन्माष्टमी, कालाष्टमी, दुर्वाष्टमी,दि. 27-गोगा नवमी,नन्द महोत्सव, मंगला गौरी पूजन,,दि. 29-अजा एकादशी व्रत,दि.30-वत्स द्वादशी, दि.31-शनि प्रदोष व्रत

मूल विचार अगस्त -2024

दि. 4 को 13/26 से दि. 6 को 17/43 तक, दि. 14 को 12/12 से दि. 16 को 12/43 तक, श्र दि. 22 को 22/05 से दि. 24 को 18/05 तक, दि. 31 को 19/39 से दि. 3 सित. को 00/22 बजे तक गण्ड मूल नक्षत्र हैं।

ग्रह स्थिति अगस्त -2024

दि. 5 वक्री बुध दि. 11 बुध पश्चिमास्त दि. 16 सूर्य सिंह में दि. 22 बुध कर्क में दि. 25 शुक्र कन्या में दि. 26 मंगल मिथुन में दि. 26 बुध पूर्वोदय दि. 29 मार्गी बुध

पंचक विचार अगस्त  -2024  

पंचक विचार -(धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण से रेवती नक्षत्र तक) पंचको में दक्षिण दिशा की ओर यात्रा करना मकान दुकान आदि की छत डालना चारपाई पलंग आदि बुनना,दाह संस्कार,बांस की चटाई दीवार प्रारंभ करना आदि स्तंभ रोपण तांबा पीतल तृण काष्ट आदि का संचय करना आदि कार्यों का निषेध माना जाता है समुचित उपाय एवं पंचक शांति करवा कर ही उक्त कार्यों का संपादन करना कल्याणकारी होगा ध्यान रहेगा  पंचर नक्षत्रों का विचार मात्र उपरोक्त विशेष कृतियों के लिए ही किया जाता है विवाह मंडल आरंभ गृह प्रवेश प्रवेश उपनयन आदि मुद्दों से तो पंचक नक्षत्रका प्रयोग शुभ माना जाता है पंचक विचार- दिनांक 19 को 18-59 बजे से दिनांक 23 को 19-54 तक पंचक है | 

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भद्रा विचार अगस्त -2024

भद्रा काल का शुभ अशुभ विचार – भद्रा काल में विवाह मुंडन, गृह प्रवेश, रक्षाबंधन आदि मांगलिक कृत्य का निषेध माना जाता है परंतु भद्रा काल में शत्रु का उच्चाटन करना,स्त्री प्रसंग में,यज्ञ करना,स्नान करना,अस्त्र शस्त्र का प्रयोग,ऑपरेशन कराना, मुकदमा करना,अग्नि लगाना,किसी वस्तु को काटना,भैस,घोड़ा व ऊंट संबंधी कार्य प्रशस्त माने जाते हैं सामान्य परिस्थिति में विवाह आदि शुभ मुहूर्त में भद्रा का त्याग करना चाहिए परंतु आवश्यक परिस्थितिवश अतिआवश्यक कार्य भूलोक की भद्रा ,भद्रा मुख छोड़कर कर भद्रा पुच्छ में शुभ कार्य कर सकते है |

दि. 2 को 15/26 से दि. 3 को 3/38 तक, दि. 8 को 11/19 से दि. 9 को 0/36 तक, दि. 12 को 7/55 से 20/43 तक, दि. 15 को 22/02 से दि. 16 को 9/39 तक, दि. 19 को 3/04 से 13/32 तक, दि. 22 को 3/26 से 13/46 तक, दि. 25 बर को 5/30 से 16/35 तक, दि. 28 को 13/22 से दि. 29 को 1/19 बजे तक भद्रा है।

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सर्वार्थ सिद्धि योग अगस्त -2024 

दैनिक जीवन में आने वाले महत्वपूर्ण कार्यों के लिए शीघ्र ही किसी  शुभ मुहूर्त का अभाव हो,किंतु शुभ मुहर्त के लिए अधिक दिनों तक रुका ना जा सकता हो तो इन सुयोग्य वाले मुहर्तु  को सफलता से ग्रहण किया जा सकता है | इन से प्राप्त होने वाले अभीष्ट फल के विषय में संशय नहीं करना चाहिए यह योग हैं सर्वार्थ सिद्धि,अमृत सिद्धि योग एवं रवियोग | योग्यता नाम तथा गुण अनुसार सर्वांगीण सिद्ध कारक  है| 

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दिनांक प्रारंभ दिनांक समाप्त
02  10-58  03 05-48 
04 05-48  04  13-26 
14  05-53  14  12-12 
18  05-55  18  10-14 
19  05-56  19  08-10 
22  22-05  24  05-58 
26  13-53  27  06-00 
28  06-00  28  15-52 
29  16-39  30  17-55

चौघड़िया मुहूर्त 

चौघड़िया मुहूर्त देखकर कार्य या यात्रा करना उत्तम होता है। एक तिथि के लिये दिवस और रात्रि के आठ-आठ भाग का एक चौघड़िया निश्चित है। इस प्रकार से 12 घंटे का दिन और 12 घंटे की रात मानें तो प्रत्येक में 90 मिनट यानि 1.30 घण्टे का एक चौघड़िया होता है जो सूर्योदय से प्रारंभ होता है|

सुर्य उदय- सुर्य अस्त अगस्त  -2024 

दिनांक  01  05  10  15 20  25  30
उदय  05-43  05-46  05-48   05-51  05-54  05-56  05-59
अस्त  19-09  19-06  19-02  18-57  18-52  18-47  18-42

 राहू काल 

 राहुकाल -राहुकाल दक्षिण भारत की देन है,दक्षिण भारत में राहु काल में कृत्य करना अच्छा नहीं माना जाता, राहु काल में शुभ कृतियों में वर्जित करने की परंपरा अब हमारे उत्तरी भारत में भी अपनाने लगे हैं राहुकाल प्रतिदिन सूर्यादि वारों में भिन्न-भिन्न समय पर केवल डेढ़ डेढ़ घंटे के लिए घटित होता है |

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  मांगलिक दोष विचार परिहार

वर अथवा कन्या दोनों में से किसी की भी कुंडली में 1,4,7,8 व 12 भाव में मंगल होने से ये मांगलिक माने जाते हैं,मंगली से मंगली के विवाह में दोष न होते हुए भी जन्म पत्रिका के अनुसार गुणों को मिलाना ही चाहिए यदि मंगल के साथ शनि अथवा राहु केतु भी हो तो प्रबल मंगली डबल मंगली योग होता है | इसी प्रकार गुरु अथवा चंद्रमा केंद्र हो तो दोष का परिहार भी हो जाता है |इसके अतिरिक्त मेष वृश्चिक मकर का मंगल होने से भी दोष नष्ट हो जाता है | इसी प्रकार यदि वर या कन्या किसी भी कुंडली में 1,4,7,9,12 स्थानों में शनि हो केंद्र त्रिकोण भावो में शुभ ग्रह, 3,6,11 भावो में पाप ग्रह हों तो भी मंगलीक दोष का आंशिक परिहार होता है, सप्तम ग्रह में यदि सप्तमेश हो तो भी दोष निवृत्त होता है |

स्वयं सिद्ध मुहूर्त

 स्वयं सिद्ध मुहूर्त चैत्र शुक्ल प्रतिपदा वैशाख शुक्ल तृतीया अक्षय तृतीया आश्विन शुक्ल दशमी विजयदशमी दीपावली के प्रदोष काल का आधा भाग भारत में से इसके अतिरिक्त लोकाचार और देश आचार्य के अनुसार निम्नलिखित कृतियों को भी स्वयं सिद्ध मुहूर्त माना जाता है बडावली नामी देव प्रबोधिनी एकादशी बसंत पंचमी फुलेरा दूज इन में से किसी भी कार्य को करने के लिए पंचांग शुद्धि देखने की आवश्यकता नहीं है परंतु विवाह आदि में तो पंचांग में दिए गए मुहूर्त व कार्य करना श्रेष्ठ रहता है।

 

 

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