जीवन को  समाज के अनुकूल बनाए

जीवन को  समाज के अनुकूल बनाए

सतीश शर्मा

राष्ट्रीय स्वयंसेवक  संघ ने सम्पूर्ण भारतीय समाज में आधारभूत परिवर्तन के लिए जिन पांच आयामों को चुना है वे हैं ‘स्व’, सामाजिक समरसता, कुटुंब प्रबोधन, पर्यावरण और नागरिक कर्तव्य।पंच परिवर्तन का यह संकल्प भारत को वैभव सम्पन्न सशक्त राष्ट्र के रूप में विकसित करेगा। इस दृष्टि से शताब्दी वर्ष में संघ ने पंच अमृत धाराओं से समाज को सिंचित करने का संकल्प लिया है। 2024-25 में यह परिवर्तन खुद में व अपने परिवार में करना हैं उसके बाद समाज मे लेकर जाना हैं | पंच परिवर्तन के बिन्दु 

स्व आधारित जीवनशैली – अपने पूर्वजों, परंपरा, ज्ञान-संपदा पर गर्व करना। बुनियादी जानकारी के लिए घर पर आवश्यक सामग्री उपलब्ध होना। हमारी जीवनशैली आधुनिक हो लेकिन पश्चिमी नहीं। फर्क समझना चाहिए। घर में स्वदेशी, स्थानीय उत्पादों पर जोर दें। हमारे त्यौहार, माध्यमों के प्रभाव के आगे झुके बिना सभ्य एवं सरल तरीके से मनाएं। सदियों से चली अपनी परंपराओं का पालन करना। जन्मदिन, विवाह वर्षगाँठ आदि को भारतीय पद्धती से मनाना। देव दर्शन, बड़ों का आशीर्वाद, सामाजिक संवेदना का ध्यान रखना। बच्चों का नामकरण अपनी संस्कृति के अनुसार करें। मातृभाषा, राष्ट्रभाषा के प्रति स्वाभिमान रखना। हस्ताक्षर, शुभकामनाएँ, गृह पट्टिकाएँ, शुभकामनाएँ, स्टिकर सभी मातृभाषा में हो। ‘जंक फूड’ से बचें और घर पर बने भोजन को प्राथमिकता दें। व्यावहारिक लाभ और हानि को प्राथमिकता न दे भावनात्मक संबंधों के महत्व को बनाए रखना।अधिकार की भाषा बोले बिना कर्तव्याधारित जीवनशैली विकसित करना।हमारी जीवनशैली में समाज के वंचित बंधुओं के प्रति कर्तव्य, दान के महत्व को रेखांकित करना। ‘इस्तेमाल करो और फेंक दो’ दृष्टिकोण से बचना।

प्रकृति के शोषण और प्रदूषण से बचकर प्रकृति का पोषण करने वाली जीवनशैली विकसित करना। प्लास्टिक पर रोक लगाएं, पानी का संयमित उपयोग करें। वैश्वीकरण के सामने हमारी पारंपरिक स्वस्थ जीवनशैली को संरक्षित करना। जैसे, गैजेट्स का संयमित उपयोग। जरूरत पड़ने पर ही ऑनलाइन शॉपिंग पर विचार करना चाहिए। घरेलू नौकरों के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करें। हमारे आचरण में मातृवत् परदारेषु, लोष्टावत परद्रव्येषु एवं आत्मवत सर्वभूतेषु की चेतना व्यक्त होना।

कुटुंब प्रबोधनकुटुंब प्रबोधन पर हम  तीन स्तर पर काम कर सकते है। हफ्ते में कम से कम एक दिन परिवार के साथ बैठकर भोजन करें,अपनी संस्कृति, परंपरा और इतिहास पर बात करें । दूसरा स्तर है अपने मित्र व रिश्तेदारों  के परिवारों की बैठ कर भोजन करें  सामूहिक चर्चा करे पर विवादों से बचें । हम सभी अपने आसपास के परिवारों के बीच मेलपिलप करें व  बातचीत करे व उनके सुख दुख मे भागीदारी करें |

सामाजिक समरसता –  जीवन में समरसता लाएं , समाज, व्यवसाय के स्थान पर बिना किसी भेदभाव के सभी के साथ आत्मीयता के सम्बन्ध स्थापित करना। सभी पंथों, भाषाओं, जातियों, बिरादरी के मूल्यों का सम्मान करना।सभी के साहित्य, आदर्श, त्योहारों को समझना। परिवार में सभी को इसके बारे में जानकारी देना।ऐसी सभी श्रेणियों में मित्रता को समृद्ध करना। उनकी खुशियों में शामिल होना। सभी श्रेणी के पारिवारिक, सामाजिक आयोजनों में खुशी-खुशी भाग लेना। विशेष दिन की शुभकामनाएँ देना। सभी प्रकार के सामाजिक आयोजनों में परिवार की भागीदारी होना। अपने परिवार से सम्बन्धित सभी सेवक मण्डली (धोबी, सफाई कर्मचारी, रसोइया आदि) के साथ आत्मीयता का संबंध स्थापित करना। उनकी पारिवारिक गतिविधियों में उचित रूप से भाग लेना, सहयोग करना। त्योहारों, पूजा आदि जैसे विशेष अवसरों पर उनके परिवार को स्मरणपूर्वक निमन्त्रण देना। परिवार में सामाजिक घटनाओं की विवेकपूर्ण चर्चा करना। किसी के प्रति मन प्रदूषित न हो और आपसी मतभेद न बढ़े इसका ध्यान रखें। घर पर सभी पंथों का साहित्य, संतों, समाज सुधारकों की जीवनियाँ उपलब्ध होनी चाहिए। समाज में पाए जाने वाले सभी वर्गों के परिवारों के साथ घनिष्ठ, मैत्रीपूर्ण पारिवारिक रिश्ते विकसित करना। उनके साथ मित्रवत व्यवहार करें। अपने परिवार का हिस्सा बनाने का प्रयास करे। अपने यात्रा आयोजन में सभी संप्रदायों के तीर्थ स्थलों को स्थान देना। घर आने वाले नौकरों, चाहे बड़े हों या छोटे, के साथ आदरपूर्वक व्यवहार करने की आदत डालें। उन्हें चाचा, दीदी, मौसी कहकर संबोधित करना। आपसी शिकायतों की चर्चा से दूर रहें। आपसी सम्मान विकसित करने का प्रयास करें।

पर्यावरण पूरक जीवनशैली – साधारण बल्बों को एलईडी बल्बों से बदलें। एलईडी बल्ब कम ऊर्जा का उपयोग करते हैं, जिससे बिजली का बिल कम आता है और बिजली बचाने में मदद मिलती है। दांतों को ब्रश करते समय, कपड़े और बर्तन धोते समय पानी का नल बंद कर दें। काम पूरा होने तक नल चलाने से पानी नष्ट हो जाता है। कुछ अवसरों और समारोहों में प्लास्टिक या थर्माकोल के बर्तनों के बजाय स्टील या कांच के बर्तनों का उपयोग करें। इससे प्रदूषण कम होता है। हाथ पोंछने के लिए टिश्यू या पेपर का उपयोग न करें यदि आप ऐसा करते हैं, तो कपड़े के तौलिये का उपयोग करें। ड्रायर का उपयोग करने से बचें और धूप या हवा में बर्तनों और कपड़ों को सुखने दें। सप्ताह में कम से कम एक बार मांस और अंडे खाने से बचें। कुछ लिखते समय या पढ़ाई करते समय कागज का पूरा उपयोग करें। पूरा कागज उपयोग किए बिना नया कागज न लें। घर के सभी अखबारों को रिसायकल करें। यात्रा के दौरान पानी का नया प्लास्टिक पैक खरीदने के बजाय घर से स्टील या कांच की बोतल ले जाएं। पीने का पानी जहां भी उपलब्ध हो, दोबारा भरा जा सकता है। घर का हर व्यक्ति कम से कम एक पेड़ लगाए। यह आपके क्षेत्र को हरा- भरा और ठण्डा रखने में मदद करता है। नहाने के पानी का उपयोग एक बाल्टी तक सीमित रखें। इससे पानी की काफी बचत होगी। मोबाइल या डिजिटल माध्यम से अखबार पढ़े। इससे उन पेड़ों को होने वाले नुकसान से बचाया जा सकेगा जिनसे यह कागज बनाया जाता है। यदि शॉवर से स्नान करने की आदत है या इसकी आवश्यकता है, तो कम से कम शॉवर का समय कम कर दें। इससे पानी की भी बचत होती है।  विद्युत उपकरण में पारा, क्रोमियम और प्लास्टिक होता है। इन उपकरणों के खराब होने पर उत्पन्न होने वाला कचरा विद्युत कचरा होता है। इसे भी रिसाइकिल करें क्योंकि यह अन्य कचरे की तरह बीमारी फैलाता है। आसपास की जगहों पर जाने के लिए कार वगैरह वाहनों का उपयोग करने से बचें। पैदल चलें या साइकिल का प्रयोग करें, स्वास्थ्य बेहतर रहेगा और प्रदूषण भी नहीं होगा। लंबी दूरी की यात्रा के लिए सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करें। अपने स्वयं के वाहन का उपयोग करने से केवल अधिक ईंधन की बर्बादी होती है। जब भी संभव हो, चीजें नई खरीदने के बजाय दोस्तों या रिश्तेदारों से उपयोग करने हेतु मांग ले। ऐसा करने से आपके पैसे भी बचते हैं और सामान का पूरा उपयोग भी हो जाता है। अपने वाहन की नियमित मरम्मत एवं रखरखाव करें। ऐसा करने से आपका वाहन कम ईंधन खर्च करते हुए अधिक कुशलता से चलेगा। घर के पास के बाजार से खरीदें और ऐसा करते समय कपड़े के थैले का उपयोग करें। ए.सी. का उपयोग कम करें। उपयोग करना है तो टाइमर लगा दें। जरूरत न होने पर घर, दफ्तर और ट्रेनों में पंखे और लाइटें बंद रखें। कई बार हम नए खिलौने, कपड़े और अन्य चीजें खरीदते हैं। हमारी सभी चीजें क्षतिग्रस्त या टूटती नहीं हैं। ऐसी सभी वस्तुएं और कपड़े जरूरतमंद लोगों को दान करें। आपका लाइट बिल, पानी बिल, या बैंक बिल अन्य लेनदेन में कागजका उपयोग किया जाता है। बैंकों और सरकारी कार्यालयों को सूचित कर हम डिजिटल बिलिंग या डॉक्यूमेंटेशन कर सकते हैं। आपको अपनी महत्वपूर्ण बैठकों और कार्यों को डिजिटल कैलेंडर पर रिकॉर्ड करना चाहिए। अपने भवन या सोसायटी को सार्वजनिक पुस्तकालय बनायें। ऐसा करने से किताबों का आदान-प्रदान हो जाएगा और नई किताब नहीं खरीदनी पड़ेगी। बचे हुए खाने से नए व्यञ्जन बनाएं। खरीदे गए फलों और सब्जियों को खराब होने से पहले ही स्टोर कर लें। देवी स्वरूपी जीवनदायिनी नदी को प्रदूषित न करें। निर्माल्य या कोई भी कूड़ा-कचरा नदी में न फेंकें। निर्माल्य से कम्पोस्ट खाद बनाने हेतु प्रोत्साहित करें। अपने जंगलों और वनों की रक्षा करें। इसमें किसी भी प्रकार की बर्बादी न होने दें। भावनात्मक ‘अंतिम संस्कार’ करते समय लकड़ी की जगह बिजली या एलपीजी का उपयोग कर चिता जलाएं। ऐसा करने से लकड़ी के धुएं से होने वाले प्रदूषण से बचाव होता है। यथा संभव लिफ्ट का उपयोग करने से बचें। सीढ़ियाँ चढ़ने-उतरने से आपका स्वास्थ्य ठीक रहता है। कपड़ों से पूर्ण भरे बिना वॉशिंग मशीन का उपयोग न करें। सभी कपड़ों को एक बार इकट्ठा कर लेना चाहिए और मशीन का इस्तेमाल करना चाहिए। ऐसा करने से मशीन के लिए आवश्यक ऊर्जा की बचत की जा सकती है। रसोई के कचरे से खाद बनायें। सामान्य घरेलू वस्तुओं का उपयोग करके एक कम्पोस्टिंग किट बनाई जा सकती है। गीला एवं सूखा कचरा अलग-अलग करें। मासिक धर्म के दौरान प्लास्टिक और कॉटन पैड के बजाय ‘मासिक कप’ का उपयोग करें। ऐसा करने से कचरा जमा नहीं होगा जो पर्यावरण के लिए हानिकारक है। (मासिक कप सिलिकॉन से बने होते हैं, और इन्हें धोकर दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है। यह डॉक्टरों द्वारा अनुशंसित एक बहुत ही सुरक्षित समाधान है।) बच्चों के लिए डायपर की जगह कपड़े की लंगोट का प्रयोग करें। डायपर के इस्तेमाल से बचने से बर्बादी कम होती है। बगीचे में पानी देने के लिए पाइप के स्थान पर ड्रिप सिंचाई करनी चाहिए। अपशिष्ट जल का पुनर्चक्रण कर बगीचा, किचन गार्डन हेतु उपयोग करे। रिचार्जेबल बैटरियों का उपयोग करना चाहिए।आपको अपने दैनिक आहार में बाजरी और ज्वार का उपयोग करना चाहिए। (ये प्रकृति और स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं) कार्यालय में कम से कम कागज का प्रयोग करना चाहिए। व्यवसाय से सम्बंधित सभी लेनदेन ई पोर्टल के माध्यम से किए जा सकते हैं।

जल संरक्षण – भूजल के कम होते स्तर को ऊपर उठाने के लिए वर्षा-जल की भूमि में रिसने की व्यवस्था करे। घर पर वर्षा जल व्यवस्थापन (Rain water harvesting) करने की जागरूकता समाज में पैदा करें। पानी का उचित उपयोग पानी का दुरुपयोग किए बिना उसका उपयोग कम से कम करें (कार धोना, घर-आंगन में पानी छिड़कते समय पाइप से बहुत सारा पानी डालना)। कई लोग बरसात और सर्दियों में पानी एक गिलास नहीं पीते। पीने के लिए पानी देते समय आधा गिलास ही दें।  सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग न करें। मित्रों, दुकानदारों, सब्जी-फल विक्रेताओं को इसका उपयोग बंद करने के लिए समझाएं।

प्लास्टिक कचरे से इकोनिक बनाने को प्रोत्साहित करें। कूड़े में प्लास्टिक हमेशा अलग-अलग देने की आदत बनाएं।एकल उपयोग प्लास्टिक प्रतिबंध को लागू करने के लिए नगरसेवक, महापौर, कलेक्टर, प्रशासन और स्वास्थ्य अधिकारी के साथ अनुवर्ती कार्रवाई करें। (आरटीआई) घर में आने वाले प्लास्टिक के डिब्बों, जार, डिब्बों को रंग-रोगन कर सुन्दर बनाकर गमलों के रूप में प्रयोग करें। दूसरों को सिखाए।  कूड़ा जलाने से वायु प्रदूषण होता है। उस सम्बन्ध में जनजागरण करें। घर में औसत ऊंचाई का पेड़ रखें, कोशिश करें कि यह हर घर में हो। अपने क्षेत्र में उगने वाले फलों के बीज एकत्र करो और उन्हें नगर के चारों ओर झाड़ियों में डाल दो। (सीड बॉल)  लुप्तप्राय पेड़ों, पक्षियों, जानवरों में से किसी विशेष पेड़, पक्षी, जानवर को संरक्षित करने का प्रयास करें। घर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली जड़ी-बूटियाँ लगायें तथा वटपूर्णिमा, मकर संक्रान्ति, स्नेहमेलन के अवसर पर 25 पौधे तैयार कर मित्रों व पड़ोसियों को दें।  तेज़ हार्न बीमारियों को निमंत्रण देते हैं। यह केवल आपातकालीन स्थिति के लिए है। Please Blow Horn की बजाय No Horn को प्रोत्साहित करें। पुलिस द्वारा वाहनों के हॉर्न की जांच की जाएगी, हॉर्न बजाने पर कार्रवाई के लिए पुलिस के साथ अनुवर्ती कार्रवाई की जाएगी।  सप्ताह में एक दिन स्वचालित वाहन का प्रयोग न करें। बिजली, पेट्रोल, डीजल की खपत पिछले माह की तुलना में कम करने का प्रयास करें। अपने घर में पक्षियों के घोंसले के लिए जगह, सामग्री, वातावरण उपलब्ध कराएं। मधुमक्खियों और तितलियों की सुरक्षा के लिए फूल लगाएं। इसे दूसरों के लिए भी आज़माएं – बटरफ्लाई/बी गार्डन। आवासीय भूखंड का कम से कम 15% हिस्सा कंक्रीट, फर्श, ब्लॉक से मुक्त रखा जाना चाहिए और पेड़-पौधे, लताएं, जल संरक्षण के प्रयास किए जाने चाहिए।. पुराने निमंत्रण कार्ड या अन्य वस्तुओं के लिए ‘बेस्ट फ्रॉम वेस्ट’ का सिद्धांत अपनाएं। वर्ष में कम से कम एक विशेष अवसर (जन्मदिन आदि) पर गमले में तुलसी या फूल उगाएं और कुंडी मंदिर, विद्यालय में दी जाएं।

नागरिकों के मौलिक कर्तव्य – संविधान का पालन करना और उसके आदशों और संस्थाओं, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करना। जिसने हमारे राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम को जन्म दिया प्रेरित होने पर उन ऊंचे आदर्शों को विकसित करना और उनका पालन करना। भारत की सम्प्रभुता, एकता और अखण्डता उनका रख-रखाव एवं संरक्षण करना। देश की रक्षा करना और आह्वान किये जाने पर राष्ट्रीय सेवा करना। धार्मिक, भाषाई और क्षेत्रीय या वर्ग मतभेदों को पार करना, भारत के लोगों के बीच एकता और भाईचारे को बढ़ावा देना, महिलाओं की गरिमा को कम करने वाली प्रथाओं को त्यागना। हमारी विविधतापूर्ण सांस्कृतिक विरासत की सराहना करना। इसे बचाना। बनों, झीलों, नदियों, वन्य जीवों और प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और सुधार करें और जीवित प्राणियों के प्रति दया दिखाएँ। वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानवतावाद, जिज्ञासा एवं सुधारवाद का विकास करता। सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा करना। हिंसा का कठोर त्याग करना।

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वर वधू के लिए निम्नलिखित फार्म भरे ।

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https://docs.google.com/forms/d/1v4vSBtlzpdB3-6idTkD1qoUZ6YkZIqEv8HAAeOJyPRI/edit

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