अप्रैल मास 2025 का पंचांग 

अप्रैल मास 2025 का पंचांग 

सतीश शर्मा 

भारतीय व्रतोत्सव अप्रैल -2025

   . 1- विनायक चतुर्थी व्रत,दि. 2- श्री पंचमी,दि. 3- स्कन्द षष्ठी, यमुना षष्ठी,दि. 5- श्री दुर्गाष्टमी, अशोकाष्टमी, मेला श्री मनसा देवी (हरि.),दि. 6- श्री रामनवमी,वसंत नवरात्र पूर्ण, स्वामी नारायण ज.,दि. 8- कामदा एकादशी व्रत,दि. 10- प्रदोष व्रत,दि. 12- वैशाख स्नान प्रारम्भ, सत्य व्रत, हनुमान जयंती (द. भा),दि. 14- संक्रांति पुण्य, बैशाखी,दि. 16- श्री गणेश चतुर्थी व्रत,दि. 18- गुरुतेग बहादुर जयंती,दि. 20- कालाष्टमी, गुरु अर्जुनदेव जयंती,दि. 24- वरूथिनी एकादशी व्रत, बल्लभाचार्य जयंती,दि.25- प्रदोष व्रत,दि. 26- मास शिवरात्रि,,दि – 27 अमावस्या पुण्य,दि –  29 भगवान परशुराम जयंती, दि 30 अक्षय तीज

मूल विचार अप्रैल -2025

दिनांक 7 को 6-24 से दिनांक 9 को 9-56 तक,दिनांक 17 को 5-54 से दिनांक 19 को 10-20 तक, दिनांक 26 को 6:27 से दिनांक 28 को 00-38 बजे तक गंड मूल नक्षत्र हैं |

ग्रह स्थिति अप्रैल -2025 

ग्रह स्थिति- दिनांक 1 बुध उदय,दिनांक 2 मंगल कर्क में,दिनांक 3 शनि  पूर्वोदय,दिनांक 7 बुध मार्गी, दिनांक13 सूर्य मेष में,दिनांक 13 शुक्र मार्गी  

पंचक विचार अप्रैल -2025  

पंचक विचार -(धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण से रेवती नक्षत्र तक) पंचको में दक्षिण दिशा की ओर यात्रा करना मकान दुकान आदि की छत डालना चारपाई पलंग आदि बुनना,दाह संस्कार,बांस की चटाई दीवार प्रारंभ करना आदि स्तंभ रोपण तांबा पीतल तृण काष्ट आदि का संचय करना आदि कार्यों का निषेध माना जाता है समुचित उपाय एवं पंचक शांति करवा कर ही उक्त कार्यों का संपादन करना कल्याणकारी होगा ध्यान रहेगा  पंचर नक्षत्रों का विचार मात्र उपरोक्त विशेष कृतियों के लिए ही किया जाता है विवाह मंडल आरंभ गृह प्रवेश प्रवेश उपनयन आदि मुद्दों से तो पंचक नक्षत्रका प्रयोग शुभ माना जाता है, दि. 23 को 00/31 से दि. 27 को 03/38 बजे तक पंचक हैं।

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे शर्मा जी – 9312002527,9560518227

भद्रा विचार अप्रैल -2025 

भद्रा काल का शुभ अशुभ विचार – भद्रा काल में विवाह मुंडन, गृह प्रवेश, रक्षाबंधन आदि मांगलिक कृत्य का निषेध माना जाता है परंतु भद्रा काल में शत्रु का उच्चाटन करना,स्त्री प्रसंग में,यज्ञ करना,स्नान करना,अस्त्र शस्त्र का प्रयोग,ऑपरेशन कराना, मुकदमा करना,अग्नि लगाना,किसी वस्तु को काटना,भैस,घोड़ा व ऊंट संबंधी कार्य प्रशस्त माने जाते हैं सामान्य परिस्थिति में विवाह आदि शुभ मुहूर्त में भद्रा का त्याग करना चाहिए परंतु आवश्यक परिस्थितिवश अतिआवश्यक कार्य भूलोक की भद्रा ,भद्रा मुख छोड़कर कर भद्रा पुच्छ में शुभ कार्य कर सकते है

दि. 1 को 16/04 से दि. 2 को 2/32 तक, दि. 4 को 20/12 से दि. 5 को 7/44 तक, दि. 8 को 8/32 से 21/13 तक, दि.12 को 3/21 से 16/36 तक, दि. 16 को 00/06 से 13/17 तक, दि. 19 को 18/22 से दि. 20 को 6/46 तक, दि. 23 को 5/28 से 16/43 तक, दि. 26 को 8/27 से 18/38 बजे तक भद्रा है।

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे शर्मा जी – 9312002527,9560518227

सर्वार्थ सिद्धि योग अप्रैल -2025  

दैनिक जीवन में आने वाले महत्वपूर्ण कार्यों के लिए शीघ्र ही किसी  शुभ मुहूर्त का अभाव हो,किंतु शुभ मुहर्त के लिए अधिक दिनों तक रुका ना जा सकता हो तो इन सुयोग्य वाले मुहर्तु  को सफलता से ग्रहण किया जा सकता है | इन से प्राप्त होने वाले अभीष्ट फल के विषय में संशय नहीं करना चाहिए यह योग हैं सर्वार्थ सिद्धि,अमृत सिद्धि योग एवं रवियोग | योग्यता नाम तथा गुण अनुसार सर्वांगीण सिद्ध कारक  है| 

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे शर्मा जी – 9312002527,9560518227

दिनांक प्रारंभ दिनांक समाप्त
01 11-06 03 06-14
05 05-20 05 06-12
06 06-10 07 06-24
08 06-07 08 07-54
16 05-58 17 05-54
20 11-48 21 05-53
21 12-37 22 05-52
27 05-48 28 00-38
29 05-46 29 18-46
30 05-45 01 05-44

 

चौघड़िया मुहूर्त 

चौघड़िया मुहूर्त देखकर कार्य या यात्रा करना उत्तम होता है। एक तिथि के लिये दिवस और रात्रि के आठ-आठ भाग का एक चौघड़िया निश्चित है। इस प्रकार से 12 घंटे का दिन और 12 घंटे की रात मानें तो प्रत्येक में 90 मिनट यानि 1.30 घण्टे का एक चौघड़िया होता है जो सूर्योदय से प्रारंभ होता है|

सुर्य उदय- सुर्य अस्त अप्रैल -2025  

 

दिनांक  01  05  10  15 20  25  28
उदय  06-12 06-08 06-02 05-57 05-52 05-47 05-42
अस्त  18-38 18-40 18-43 18-46 18-49 18-52 18-54

 

 राहू काल 

 राहुकाल -राहुकाल दक्षिण भारत की देन है,दक्षिण भारत में राहु काल में कृत्य करना अच्छा नहीं माना जाता, राहु काल में शुभ कृतियों में वर्जित करने की परंपरा अब हमारे उत्तरी भारत में भी अपनाने लगे हैं राहुकाल प्रतिदिन सूर्यादि वारों में भिन्न-भिन्न समय पर केवल डेढ़ डेढ़ घंटे के लिए घटित होता है |

संक्रांति विचार

इस मास की संक्रान्ति मेष वैशाख कृष्ण प्रतिपदा रविवार दि. 13/14 अप्रैल रात्रि के चौथे प्रहर में 27/20 मि. पर 15 में उठी धापी, दक्षिण गमन नैऋत्य दृष्टि किये वायु मण्डल में प्रवेश करेगी। खप्पर योग वाली है। गतवार 3 गत नक्षत्र 4. बार नाम घोरा शुद्र सुखी, नक्षत्र नाम महोदरी चोर सुखी। रविवारी संक्रान्ति होने से सभी प्रकार के धान्य व रस पदार्थ, खाण्ड, गुड़, तेल, तिलहन, रूई पदार्थों में तेजी बनेगी।

आकाश लक्षण

मास में बुधोदय, बुध मार्गों, शुक्र मार्गी व ग्रहचाल नाड़ी परिवर्तन से गर्मी का वातावरण बनेगा। गर्मी से प्रजा परेशान दुखी होगी। मौसमी बीमारियां जोर पकड़ेंगी। आंधी, बादल चाल से खण्ड वर्षा सम्भव है। तेज हवा संग हल्की-फुल्की फुच्चारे पड़ेंगी।

  मांगलिक दोष विचार परिहार

वर अथवा कन्या दोनों में से किसी की भी कुंडली में 1,4,7,8 व 12 भाव में मंगल होने से ये मांगलिक माने जाते हैं,मंगली से मंगली के विवाह में दोष न होते हुए भी जन्म पत्रिका के अनुसार गुणों को मिलाना ही चाहिए यदि मंगल के साथ शनि अथवा राहु केतु भी हो तो प्रबल मंगली डबल मंगली योग होता है | इसी प्रकार गुरु अथवा चंद्रमा केंद्र हो तो दोष का परिहार भी हो जाता है |इसके अतिरिक्त मेष वृश्चिक मकर का मंगल होने से भी दोष नष्ट हो जाता है | इसी प्रकार यदि वर या कन्या किसी भी कुंडली में 1,4,7,9,12 स्थानों में शनि हो केंद्र त्रिकोण भावो में शुभ ग्रह, 3,6,11 भावो में पाप ग्रह हों तो भी मंगलीक दोष का आंशिक परिहार होता है, सप्तम ग्रह में यदि सप्तमेश हो तो भी दोष निवृत्त होता है |

स्वयं सिद्ध मुहूर्त

 स्वयं सिद्ध मुहूर्त चैत्र शुक्ल प्रतिपदा वैशाख शुक्ल तृतीया अक्षय तृतीया आश्विन शुक्ल दशमी विजयदशमी दीपावली के प्रदोष काल का आधा भाग भारत में से इसके अतिरिक्त लोकाचार और देश आचार्य के अनुसार निम्नलिखित कृतियों को भी स्वयं सिद्ध मुहूर्त माना जाता है बडावली नामी देव प्रबोधिनी एकादशी बसंत पंचमी फुलेरा दूज इन में से किसी भी कार्य को करने के लिए पंचांग शुद्धि देखने की आवश्यकता नहीं है परंतु विवाह आदि में तो पंचांग में दिए गए मुहूर्त व कार्य करना श्रेष्ठ रहता है।

जन्म पत्रिका बनवाने व दिखाने हेतु व  पंचांग से संबंधित  अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे शर्मा जी – 9312002527,9560518227

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *