शारदीय नवरात्र – 2024

 

शारदीय नवरात्र – 2024 

ॐ खड्गं चक्रगदेषुचापपरिघात्र्छूलं भुशुण्डीं शिर:शङ्खं संदधतीं करैस्त्रिनयनां सर्वांगभूषावृताम्

नीलाश्म धुतिमास्यपाददशकां सेवे महाकालिकायामस्तौव्स्वपिते ह्वरौ कमलजो हन्तुं मधुंकैटभम्।

शारदीय नवरात्र  अश्विनी मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक होते हैं | 

कलश स्थापना मुहर्त –  3 अक्टूबर को प्रातः काल सूर्योदय के बाद 4 घंटे तक अथवा अभिजीत मुहूर्त 11:52 से 12:38 तक में ही नवरात्र प्रारंभ घट स्थापन दी पूजन आदि करनी चाहिए | सूर्योदय – 06-30 सबेरे |

कलश स्थापना – करने के लिए गंगाजल, रोली, मोली, पान,कलश, सुपारी, नारियल, धूपबत्ती, घी का दीपक, फल, फूल की माला, बिल्वपत्र, चावल, केले के पत्ते, आम के पत्ते, बंदनवार के लिय,चंदन,हल्दी की गांठ, लाल वस्त्र, जो, बतासे, सुगंधित तेल, सिंदूर, कपूर, पंच सुगंध, नैवेद्य के लिए फल, पंचामृत के लिए दूध दही मधु, दुर्गा जी की मूर्ति, कुमारी पूजन के लिए वस्त्र, आभूषण, इत्यादि लेकर हम सवेरे स्नान करके और माता के चरणों में ध्यान लगा कर अगर घर में मंदिर है तो वहां पर नहीं तो एक नीचे फर्श पर सफाई करके चौकी पर एक घट रखकर उसमें जल रखकर ऊपर एक नारियल रखकर और घट की स्थापना करनी चाहिए और पूरा दिन माता के चरणों में 9 दिन ध्यान रखना चाहिए फिर घर की जैसी व्यवस्था है अगर अष्टमी को जोत व कन्या पूजन   होता हो  तो अष्टमी या  नवमी को करनी चाहिए कन्या पूजन अति आवश्यक है नवरात्रों की पूजा से हमारी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और माता का विशेष आशीर्वाद रहता है |

दुर्गासप्तशती में हर समस्या के लिए एक विशेष मंत्र

ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी

दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु‍ते

नवरात्रि में दुर्गासप्तशती के मंत्रों का पूर्ण विधि-विधान से पाठ किया जाए तो बड़ी से बड़ी समस्या को भी हल किया जा सकता है। दुर्गासप्तशती में हर समस्या के लिए एक विशेष मंत्र बताया गया है जिसके जाप से व्यक्ति को तुरंत ही राहत मिलती है तथा समस्या हल हो जाती है।

इस तरह मंत्र जपः जप विधि

सुबह जल्दी उठकर नहा-धोकर साफ-सुथरे कपड़े पहन कर किसी शांत स्थान पर बैठ कर मां दुर्गा की आराधना करें। इसके बाद रूद्राक्ष अथवा लाल चंदन की माला से मंत्र का जाप करें। जप शुरु करने के पहले किसी योग्य विद्वान से इन मंत्रों का उच्चारण सीख लें ताकि कोई गलती न हो सकें।

आप नीचे दिए गए मंत्रों में से अपनी समस्या के अनुसार कोई भी एक मंत्र चुन लें तथा उसका विधि-विधान से जप करें।

समस्त कष्टों से मुक्ति पाने के लिए दुर्गासप्तशती के मंत्र

दुर्भाग्य से मुक्ति तथा समस्त बाधाओं की शांति के लिए

सर्वाबाधाप्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि।

एवमेव त्वया कार्यमस्मद्वैरिविनासनम्।।

अचानक आई विपत्ति के नाश के लिए

देवि प्रपन्नार्तिहरे प्रसीद प्रसीद मातर्जगतोखिलस्य।

प्रसीद विश्वेश्वरी पाहि विश्वं त्वमीश्वरी देवि चराचरस्य‌।।

सुंदर तथा सुशील पत्नी पाने के लिए

पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्।

तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम।।

गरीबी से मुक्ति पाने के लिए

दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो: स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।

दारिद्रयदु:खभयहारिणि का त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदाद्र्रचिता।।

शत्रुओं तथा समस्त कष्टों से रक्षा के लिए

शूलेन पाहि नो देवि पाहि खड्गेन चाम्बिके।

घण्टास्वनेन न: पाहि चापज्यानि:स्वनेन च।।

मृत्यु पश्चात स्वर्ग तथा मोक्ष की प्राप्ति के लिए

सर्वस्य बुद्धिरूपेण जनस्य हदि संस्थिते।

स्वर्गापर्वदे देवि नारायणि नमोस्तु ते।।

समस्त संकटों के नाश के लिए

दुर्गे देवि नमस्तुभ्यं सर्वकामार्थसाधिके।

मम सिद्धिमसिद्धिं वा स्वप्ने सर्वं प्रदर्शय।।

भय नाश के लिए

यस्या: प्रभावमतुलं भगवाननन्तो ब्रह्मा हरश्च न हि वक्तुमलं बलं च।

सा चण्डिकाखिलजगत्परिपालनाय नाशाय चाशुभभयस्य मतिं करोतु।।

शारीरिक, मानसिक रोगों के नाश के लिए

रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान् ।

त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति।

अधिक जानकारी के लिय सम्पर्क करे शर्मा जी 9312002527

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