मासिक पंचांग

अप्रैल मास 2024 का पंचांग 

भारतीय व्रतोत्सव अप्रैल -2024

दि. 1- शीतला सप्तमी,दि. 2- शीतलाष्टमी (बसौड़ा), कालाष्टमी, मेला केसरिया मेवाड़, कैलादेवी (करौली),दि. 5- पापमोचिनी एकादशी व्रत,दि. 6- शनि प्रदोष व्रत, महावारुणी पर्व,दि. 7- मासशिवरात्रि,दि. 8- मेला प्रथूदक पिहोवा (हरि.), सोमवती अमावस्या,दि. 9- चैत्र नवरात्र प्रारम्भ, संवत् 2081 प्रारम्भ,दि. 10- सिंधारा,दि. 11- मत्स्य जयंती, गणगौरी तीज,दि. 12- विनायक चतुर्थी व्रत,दि. 13- संक्रांति पुण्य, वैशाखी, श्री (लक्ष्मी) पंचमी,दि. 14- यमुना षष्ठी, स्कन्द षष्ठी,दि.16- श्री दुर्गाष्टमी, अशोकाष्टमी, मेला श्री मनसा देवी (हरि.),दि. 17- श्री राम नवमी, चैत्र नवरात्र पूर्ण,दि. 19- कामदा एकादशी व्रत,दि. 21- प्रदोष व्रत,दि. 23- सत्य इत, वैशाख स्नान प्रा., हनुमान जयंती (इ. भा),दि. 27- श्री गणेश चतुर्थी व्रत दि. 29- गुरुतेग बहादुर जयंती दि. 30- गुरु अर्जुनदेव जयंती

मूल विचार अप्रैल -2024

दि. 1 को 23/11 तक, दि. 8 को 10/12 से दि. 10 को 5/06 तक, दि. 17 को 5/15 से दि. 19 को 10/56 तक, दि. 27 को 3/39 से दि. 29 को 4/48 बजे तक गण्ड मूल नक्षत्र हैं।

 

ग्रह स्थिति अप्रैल -2024

दि. 2 बुध वक्री,दि. 5 बुध पश्चिमास्त,दि. 9 बुध मीन में, दि. 13 सूर्य मेष में,दि. 20 बुध पूर्वोदय ,दि. 23 मंगल मीन में,दि. 24 शुक्र मेष में,दि. 25 बुध मार्गी ,दि. 30 शुक्र पूर्वास्त

पंचक विचार अप्रैल-2024  

पंचक विचार -(धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण से रेवती नक्षत्र तक) पंचको में दक्षिण दिशा की ओर यात्रा करना मकान दुकान आदि की छत डालना चारपाई पलंग आदि बुनना,दाह संस्कार,बांस की चटाई दीवार प्रारंभ करना आदि स्तंभ रोपण तांबा पीतल तृण काष्ट आदि का संचय करना आदि कार्यों का निषेध माना जाता है समुचित उपाय एवं पंचक शांति करवा कर ही उक्त कार्यों का संपादन करना कल्याणकारी होगा ध्यान रहेगा  पंचर नक्षत्रों का विचार मात्र उपरोक्त विशेष कृतियों के लिए ही किया जाता है विवाह मंडल आरंभ गृह प्रवेश प्रवेश उपनयन आदि मुद्दों से तो पंचक नक्षत्रका प्रयोग शुभ माना जाता है पंचक विचार- दिनांक 05 को 07-12 से दिनांक 09 को 07-31 बजे तक पंचक है | 

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे शर्मा जी – 9312002527,9560518227

भद्रा विचार अप्रैल -2024

भद्रा काल का शुभ अशुभ विचार – भद्रा काल में विवाह मुंडन, गृह प्रवेश, रक्षाबंधन आदि मांगलिक कृत्य का निषेध माना जाता है परंतु भद्रा काल में शत्रु का उच्चाटन करना,स्त्री प्रसंग में,यज्ञ करना,स्नान करना,अस्त्र शस्त्र का प्रयोग,ऑपरेशन कराना, मुकदमा करना,अग्नि लगाना,किसी वस्तु को काटना,भैस,घोड़ा व ऊंट संबंधी कार्य प्रशस्त माने जाते हैं सामान्य परिस्थिति में विवाह आदि शुभ मुहूर्त में भद्रा का त्याग करना चाहिए परंतु आवश्यक परिस्थितिवश अति आवश्यक कार्य भूलोक की भद्रा ,भद्रा मुख छोड़कर कर भद्रा पुच्छ में शुभ कार्य कर सकते है |

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे शर्मा जी – 9312002527,9560518227

दिनांक  शुरू  दिनांक  समाप्त 
31 21-31 01  09-26
04 05-21 04 16-14
07 06-54 07 17-07
12 02-07 12 13-12
15 12-11 16 00-47
19 06-47 19 20-05
23 03-25 23 16-25
26 20-08 27 08-18
30 07-05 30 18-25

 

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे शर्मा जी – 9312002527,9560518227

सर्वार्थ सिद्धि योग अप्रैल -2024 

दैनिक जीवन में आने वाले महत्वपूर्ण कार्यों के लिए शीघ्र ही किसी  शुभ मुहूर्त का अभाव हो,किंतु शुभ मुहर्त के लिए अधिक दिनों तक रुका ना जा सकता हो तो इन सुयोग्य वाले मुहर्तु  को सफलता से ग्रहण किया जा सकता है | इन से प्राप्त होने वाले अभीष्ट फल के विषय में संशय नहीं करना चाहिए यह योग हैं सर्वार्थ सिद्धि,अमृत सिद्धि योग एवं रवियोग | योग्यता नाम तथा गुण अनुसार सर्वांगीण सिद्ध कारक  है| 

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे शर्मा जी – 9312002527,9560518227

दिनांक प्रारंभ दिनांक समाप्त
07 12-58 08 06-07
09 07-31 10 05-06
11 03-05 11 06-03
16 03-05 16 05-58
17 05-15 17 05-57
21 05-53 22 05-52
26 02-23 27 03-39
28 05-47 29 04-48

 

चौघड़िया मुहूर्त 

चौघड़िया मुहूर्त देखकर कार्य या यात्रा करना उत्तम होता है। एक तिथि के लिये दिवस और रात्रि के आठ-आठ भाग का एक चौघड़िया निश्चित है। इस प्रकार से 12 घंटे का दिन और 12 घंटे की रात मानें तो प्रत्येक में 90 मिनट यानि 1.30 घण्टे का एक चौघड़िया होता है जो सूर्योदय से प्रारंभ होता है|

सुर्य उदय- सुर्य अस्त मार्च -2024 

 

दिनांक उदय  दिनांक अस्त 
06-12 1 18-38
5 06-08 5 18-40
10 06-02 10 18-43
15 05-57 15 18-46
20 05-52 20 18-49
25 05-47 25 18-52
30  05-42 30  18-54

 

 राहू काल 

 राहुकाल -राहुकाल दक्षिण भारत की देन है,दक्षिण भारत में राहु काल में कृत्य करना अच्छा नहीं माना जाता, राहु काल में शुभ कृतियों में वर्जित करने की परंपरा अब हमारे उत्तरी भारत में भी अपनाने लगे हैं राहुकाल प्रतिदिन सूर्यादि वारों में भिन्न-भिन्न समय पर केवल डेढ़ डेढ़ घंटे के लिए घटित होता है |

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे शर्मा जी – 9312002527,9560518227

  मांगलिक दोष विचार परिहार

वर अथवा कन्या दोनों में से किसी की भी कुंडली में 1,4,7,8 व 12 भाव में मंगल होने से ये मांगलिक माने जाते हैं,मंगली से मंगली के विवाह में दोष न होते हुए भी जन्म पत्रिका के अनुसार गुणों को मिलाना ही चाहिए यदि मंगल के साथ शनि अथवा राहु केतु भी हो तो प्रबल मंगली डबल मंगली योग होता है | इसी प्रकार गुरु अथवा चंद्रमा केंद्र हो तो दोष का परिहार भी हो जाता है |इसके अतिरिक्त मेष वृश्चिक मकर का मंगल होने से भी दोष नष्ट हो जाता है | इसी प्रकार यदि वर या कन्या किसी भी कुंडली में 1,4,7,9,12 स्थानों में शनि हो केंद्र त्रिकोण भावो में शुभ ग्रह, 3,6,11 भावो में पाप ग्रह हों तो भी मंगलीक दोष का आंशिक परिहार होता है, सप्तम ग्रह में यदि सप्तमेश हो तो भी दोष निवृत्त होता है |

स्वयं सिद्ध मुहूर्त

 स्वयं सिद्ध मुहूर्त चैत्र शुक्ल प्रतिपदा वैशाख शुक्ल तृतीया अक्षय तृतीया आश्विन शुक्ल दशमी विजयदशमी दीपावली के प्रदोष काल का आधा भाग भारत में से इसके अतिरिक्त लोकाचार और देश आचार्य के अनुसार निम्नलिखित कृतियों को भी स्वयं सिद्ध मुहूर्त माना जाता है बडावली नामी देव प्रबोधिनी एकादशी बसंत पंचमी फुलेरा दूज इन में से किसी भी कार्य को करने के लिए पंचांग शुद्धि देखने की आवश्यकता नहीं है परंतु विवाह आदि में तो पंचांग में दिए गए मुहूर्त व कार्य करना श्रेष्ठ रहता है।

जन्म कुंडली व हस्त रेखा विशेषज्ञ

 

 

जन्म कुंडली बनवाने व दिखाने के लिए संपर्क करें लिखे।

जन्म कुंडली के विषय में जानना चाहते हैं तो कृपया जन्म तिथि,

जन्म समय व जनम स्थान अवश्य लिखें।

शर्मा जी – 9560518227,9312002527

www.jaankaarikaal.com

jankarikai@gmai.com

दिसंबर मास 2023 का पंचांग 

दिनांक  भारतीय व्रत उत्सव दिसंबर – 2023 
काल भैरव अष्टमी  
उत्पन्न एकादशी व्रत   
10  प्रदोष व्रत, संत ज्ञानेश्वर पुण्य तिथि     
11 मास शिवरात्री,श्री बाला जी जयंती    
12 अमावस्या पुण्य 
16   विनायक चतुर्थी व्रत संक्रांति पुण्य 
17  गुरु तेग बहादुर बलिदान दिवस , नाग पंचमी द भा
18   स्कन्ध  छट, चम्पा छट  
20  श्री दुर्गा अष्टमी 
22   मोछदा   एकादशी व्रत  
23  मोछदा एकादशी व्रत गीता जयंती 
24  प्रदोष व्रत 
26  सत्य व्रत,त्रिपुर भैरव जयंती ,दातातरे जयंती अन्नपूर्ण जयंती  
30  गणेश चतुर्थी 

 

पंचक विचार दिसंबर – 2023   

पंचक विचार -(धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण से रेवती नक्षत्र तक) पंचको में दक्षिण दिशा की ओर यात्रा करना मकान दुकान आदि की छत डालना चारपाई पलंग आदि बुनना,दाह संस्कार,बांस की चटाई दीवार प्रारंभ करना आदि स्तंभ रोपण तांबा पीतल तृण काष्ट आदि का संचय करना आदि कार्यों का निषेध माना जाता है समुचित उपाय एवं पंचक शांति करवा कर ही उक्त कार्यों का संपादन करना कल्याणकारी होगा ध्यान रहेगा  पंचर नक्षत्रों का विचार मात्र उपरोक्त विशेष कृतियों के लिए ही किया जाता है विवाह मंडल आरंभ गृह प्रवेश प्रवेश उपनयन आदि मुद्दों से तो पंचक नक्षत्रका प्रयोग शुभ माना जाता है पंचक विचार- दिनांक 17 को 15-44 से दिनांक 21 को 22-08  तक पंचक है | 

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे शर्मा जी – 9312002527,9560518227

भद्रा विचार दिसंबर – 2023  

भद्रा काल का शुभ अशुभ विचार – भद्रा काल में विवाह मुंडन, गृह प्रवेश, रक्षाबंधन आदि मांगलिक कृत्य का निषेध माना जाता है परंतु भद्रा काल में शत्रु का उच्चाटन करना,स्त्री प्रसंग में,यज्ञ करना,स्नान करना,अस्त्र शस्त्र का प्रयोग,ऑपरेशन कराना, मुकदमा करना,अग्नि लगाना,किसी वस्तु को काटना,भैस,घोड़ा व ऊंट संबंधी कार्य प्रशस्त माने जाते हैं सामान्य परिस्थिति में विवाह आदि शुभ मुहूर्त में भद्रा का त्याग करना चाहिए परंतु आवश्यक परिस्थितिवश अति आवश्यक कार्य भूलोक की भद्रा ,भद्रा मुख छोड़कर कर भद्रा पुच्छ में शुभ कार्य कर सकते है |

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे शर्मा जी – 9312002527,9560518227

दिनांक  शुरू  दिनांक  समाप्त 
03   19-27 04 08-42
07 16-09 08 05-06
11 07-10 11 18-47
16 09-15 16 20-08
19 13-07 20 00-10
22 19-44 23 07-12
26 05-47 26 17-55
29 20-52 30 09-44 

 

मूल नक्षत्र विचार दिसंबर – 2023  

 

दिनांक शुरू  दिनांक समाप्त 
02 18-54 05 00-34
12 11-56 14 09-46
20 22-57 22 21-35
30 03-09 01 08-36

 

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सर्वार्थ सिद्धि योग दिसंबर -2023 

दैनिक जीवन में आने वाले महत्वपूर्ण कार्यों के लिए शीघ्र ही किसी  शुभ मुहूर्त का अभाव हो,किंतु शुभ मुहर्त के लिए अधिक दिनों तक रुका ना जा सकता हो तो इन सुयोग्य वाले मुहर्तु  को सफलता से ग्रहण किया जा सकता है | इन से प्राप्त होने वाले अभीष्ट फल के विषय में संशय नहीं करना चाहिए यह योग हैं सर्वार्थ सिद्धि,अमृत सिद्धि योग एवं रवियोग | योग्यता नाम तथा गुण अनुसार सर्वांगीण सिद्ध कारक  है| 

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे शर्मा जी – 9312002527,9560518227

दिनांक प्रारंभ दिनांक समाप्त
07   06-28 07 07-06
09 10-42 10 07-07
11 12-13 12 07-08
16 06-24 17 04-36
20 00-02 20 07-14
21 07-14 22 21-35
25 07-16 26 07-16
28 13-35  29 07-17

 

चौघड़िया मुहूर्त 

चौघड़िया मुहूर्त देखकर कार्य या यात्रा करना उत्तम होता है। एक तिथि के लिये दिवस और रात्रि के आठ-आठ भाग का एक चौघड़िया निश्चित है। इस प्रकार से 12 घंटे का दिन और 12 घंटे की रात मानें तो प्रत्येक में 90 मिनट यानि 1.30 घण्टे का एक चौघड़िया होता है जो सूर्योदय से प्रारंभ होता है|

ग्रह स्थिति दिसंबर – 2023 

ग्रह स्थिति – दि-11 को बुध वक्री,दि-16 को सूर्य धनु में,दि-17 को बुध पश्चिमास्त,दि-24 को शुक्र वृश्चिक में,दि-27 को बुध पूर्वोदय,दि-27 को मंगल धनु में दि-28 को बुध वृश्चिक में,दि-31 को गुरु मार्गी

 

सुर्य उदय- सुर्य अस्त दिसंबर -2023 

 

दिनांक उदय  दिनांक अस्त 
06-58  1 17-22 
5 07-01  5 17-22 
10 07-04  10 17-23 
15 07-08  15 17-25 
20 07-14  20 17-27 
25 07-16  25 17-30 
30 07-15  30 17-33

 

 राहू काल 

 राहुकाल -राहुकाल दक्षिण भारत की देन है,दक्षिण भारत में राहु काल में कृत्य करना अच्छा नहीं माना जाता, राहु काल में शुभ कृतियों में वर्जित करने की परंपरा अब हमारे उत्तरी भारत में भी अपनाने लगे हैं राहुकाल प्रतिदिन सूर्यादि वारों में भिन्न-भिन्न समय पर केवल डेढ़ डेढ़ घंटे के लिए घटित होता है |

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  मांगलिक दोष विचार परिहार

वर अथवा कन्या दोनों में से किसी की भी कुंडली में 1,4,7,8 व 12 भाव में मंगल होने से ये मांगलिक माने जाते हैं,मंगली से मंगली के विवाह में दोष न होते हुए भी जन्म पत्रिका के अनुसार गुणों को मिलाना ही चाहिए यदि मंगल के साथ शनि अथवा राहु केतु भी हो तो प्रबल मंगली डबल मंगली योग होता है | इसी प्रकार गुरु अथवा चंद्रमा केंद्र हो तो दोष का परिहार भी हो जाता है |इसके अतिरिक्त मेष वृश्चिक मकर का मंगल होने से भी दोष नष्ट हो जाता है | इसी प्रकार यदि वर या कन्या किसी भी कुंडली में 1,4,7,9,12 स्थानों में शनि हो केंद्र त्रिकोण भावो में शुभ ग्रह, 3,6,11 भावो में पाप ग्रह हों तो भी मंगलीक दोष का आंशिक परिहार होता है, सप्तम ग्रह में यदि सप्तमेश हो तो भी दोष निवृत्त होता है |

स्वयं सिद्ध मुहूर्त

 स्वयं सिद्ध मुहूर्त चैत्र शुक्ल प्रतिपदा वैशाख शुक्ल तृतीया अक्षय तृतीया आश्विन शुक्ल दशमी विजयदशमी दीपावली के प्रदोष काल का आधा भाग भारत में से इसके अतिरिक्त लोकाचार और देश आचार्य के अनुसार निम्नलिखित कृतियों को भी स्वयं सिद्ध मुहूर्त माना जाता है बडावली नामी देव प्रबोधिनी एकादशी बसंत पंचमी फुलेरा दूज इन में से किसी भी कार्य को करने के लिए पंचांग शुद्धि देखने की आवश्यकता नहीं है परंतु विवाह आदि में तो पंचांग में दिए गए मुहूर्त व कार्य करना श्रेष्ठ रहता है।

जन्म कुंडली व हस्त रेखा विशेषज्ञ

 

 

जन्म कुंडली बनवाने व दिखाने के लिए संपर्क करें लिखे।

जन्म कुंडली के विषय में जानना चाहते हैं तो कृपया जन्म तिथि,

जन्म समय व जनम स्थान अवश्य लिखें।

शर्मा जी – 9560518227,9312002527

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अक्टूबर मास 2023 का पंचांग 

दिनांक  भारतीय व्रत उत्सव अक्टूबर – 2023 
2 श्री गणेश चतुर्थी व्रत
कालाष्टमी 
10  इंदिरा एकादशी व्रत  
12 प्रदोष व्रत, मास शिव रात्री   
14 शनेशचरी अमावस्या, सर्व पित्र श्राद्ध   
15  नवरात्र प्रारंभ , अग्रसेन जयंती 
18  संक्रांति पुन्य, विनायक चतुर्थी व्रत 
19 उपांग ललिता पंचमी 
20  सरस्वती आवाहन 
21  सरस्वती पूजन 
22 दुर्गा अष्टमी, महा अष्टमी व्रत , सरस्वती बलिदान 
23 महा नवमी , नवरात्र पूर्ण , सरस्वती विसर्जन 
24  विजय दशमी,    
25 पापंकुशा एकादशी,भरत मिलाप 
26  प्रदोष व्रत 
28 सत्य व्रत,कोजयारी व्रत , शरद पूर्णिमा , कार्तिक स्नान प्रारंभ बाल्मीकि जयंती चंद्र ग्रहण 

 

चौघड़िया मुहूर्त 

चौघड़िया मुहूर्त देखकर कार्य या यात्रा करना उत्तम होता है। एक तिथि के लिये दिवस और रात्रि के आठ-आठ भाग का एक चौघड़िया निश्चित है। इस प्रकार से 12 घंटे का दिन और 12 घंटे की रात मानें तो प्रत्येक में 90 मिनट यानि 1.30 घण्टे का एक चौघड़िया होता है जो सूर्योदय से प्रारंभ होता है|

 

पंचक विचार अक्टूबर – 2023   

पंचक विचार -(धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण से रेवती नक्षत्र तक) पंचको में दक्षिण दिशा की ओर यात्रा करना मकान दुकान आदि की छत डालना चारपाई पलंग आदि बुनना,दाह संस्कार,बांस की चटाई दीवार प्रारंभ करना आदि स्तंभ रोपण तांबा पीतल तृण काष्ट आदि का संचय करना आदि कार्यों का निषेध माना जाता है समुचित उपाय एवं पंचक शांति करवा कर ही उक्त कार्यों का संपादन करना कल्याणकारी होगा ध्यान रहेगा  पंचर नक्षत्रों का विचार मात्र उपरोक्त विशेष कृतियों के लिए ही किया जाता है विवाह मंडल आरंभ गृह प्रवेश प्रवेश उपनयन आदि मुद्दों से तो पंचक नक्षत्रका प्रयोग शुभ माना जाता है पंचक विचार- दिनांक 24   को 04-22 से दिनांक 28 को 07-30 तक पंचक है | 

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भद्रा विचार अक्टूबर – 2023  

भद्रा काल का शुभ अशुभ विचार – भद्रा काल में विवाह मुंडन, गृह प्रवेश, रक्षाबंधन आदि मांगलिक कृत्य का निषेध माना जाता है परंतु भद्रा काल में शत्रु का उच्चाटन करना,स्त्री प्रसंग में,यज्ञ करना,स्नान करना,अस्त्र शस्त्र का प्रयोग,ऑपरेशन कराना, मुकदमा करना,अग्नि लगाना,किसी वस्तु को काटना,भैस,घोड़ा व ऊंट संबंधी कार्य प्रशस्त माने जाते हैं सामान्य परिस्थिति में विवाह आदि शुभ मुहूर्त में भद्रा का त्याग करना चाहिए परंतु आवश्यक परिस्थितिवश अति आवश्यक कार्य भूलोक की भद्रा ,भद्रा मुख छोड़कर कर भद्रा पुच्छ में शुभ कार्य कर सकते है |

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे शर्मा जी – 9312002527,9560518227

दिनांक  शुरू  दिनांक  समाप्त 
01   20-29  02  07-36 
05  05-41  05  18-08 
08  23-25  09 12-37 
12  19-53  13  08-55 
18  13-23  19  01-12 
21  21-53  22  08-59 
25  01-53  25  12-32 
28  04-17  28  15-03 
31  09-57  31  21-30 

 

मूल नक्षत्र विचार- अक्टूबर 2023  

 

दिनांक शुरू  दिनांक समाप्त 
00 00 01  19-27
09   02-44  11  08-44 
18  21-00  20  20-40 
27  09-29  29  05-54

 

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सर्वार्थ सिद्धि योग अक्टूबर -2023 

दैनिक जीवन में आने वाले महत्वपूर्ण कार्यों के लिए शीघ्र ही किसी  शुभ मुहूर्त का अभाव हो,किंतु शुभ मुहर्त के लिए अधिक दिनों तक रुका ना जा सकता हो तो इन सुयोग्य वाले मुहर्तु  को सफलता से ग्रहण किया जा सकता है | इन से प्राप्त होने वाले अभीष्ट फल के विषय में संशय नहीं करना चाहिए यह योग हैं सर्वार्थ सिद्धि,अमृत सिद्धि योग एवं रवियोग | योग्यता नाम तथा गुण अनुसार सर्वांगीण सिद्ध कारक  है| 

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे शर्मा जी – 9312002527,9560518227

दिनांक प्रारंभ दिनांक समाप्त
01  06-18  01  19-27 
03  06-19  03  18-03 
04  06-20  05  06-20 
06  21-31  07  06-21 
08  06-22  09  02-44 
18   06-28  18  21-00 
22  06-30  22  18-43 
23  06-31  23  17-13 
27  09-24  28  06-35 
31  04-00  31  06-36 

 

ग्रह स्थिति अक्टूबर-2023 

ग्रह स्थिति – दि-1 बुध कन्या में,दि-1 शुक्र सिंह में,दि- 3 मंगल तुला में,दि- 6 बुध पूर्वास्त,दि-17 सूर्य तुला में,दि-18 बुध तुला,दि-30 राहु मीन में,केतु कन्या मे |

 

सुर्य उदय- सुर्य अस्त अक्टूबर-2023 

 

दिनांक उदय  दिनांक अस्त 
06-17    1 18-04 
5 06-19  5 17-59 
10 06-20  10 17-54 
15 06-23  15 17-48 
20 06-29  20 17-43 
25 06-31  25 17-38 
30 06-33  30 17-35 

 

 राहू काल 

 राहुकाल -राहुकाल दक्षिण भारत की देन है,दक्षिण भारत में राहु काल में कृत्य करना अच्छा नहीं माना जाता, राहु काल में शुभ कृतियों में वर्जित करने की परंपरा अब हमारे उत्तरी भारत में भी अपनाने लगे हैं राहुकाल प्रतिदिन सूर्यादि वारों में भिन्न-भिन्न समय पर केवल डेढ़ डेढ़ घंटे के लिए घटित होता है |

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  मांगलिक दोष विचार परिहार

वर अथवा कन्या दोनों में से किसी की भी कुंडली में 1,4,7,8 व 12 भाव में मंगल होने से ये मांगलिक माने जाते हैं,मंगली से मंगली के विवाह में दोष न होते हुए भी जन्म पत्रिका के अनुसार गुणों को मिलाना ही चाहिए यदि मंगल के साथ शनि अथवा राहु केतु भी हो तो प्रबल मंगली डबल मंगली योग होता है | इसी प्रकार गुरु अथवा चंद्रमा केंद्र हो तो दोष का परिहार भी हो जाता है |इसके अतिरिक्त मेष वृश्चिक मकर का मंगल होने से भी दोष नष्ट हो जाता है | इसी प्रकार यदि वर या कन्या किसी भी कुंडली में 1,4,7,9,12 स्थानों में शनि हो केंद्र त्रिकोण भावो में शुभ ग्रह, 3,6,11 भावो में पाप ग्रह हों तो भी मंगलीक दोष का आंशिक परिहार होता है, सप्तम ग्रह में यदि सप्तमेश हो तो भी दोष निवृत्त होता है |

स्वयं सिद्ध मुहूर्त

 स्वयं सिद्ध मुहूर्त चैत्र शुक्ल प्रतिपदा वैशाख शुक्ल तृतीया अक्षय तृतीया आश्विन शुक्ल दशमी विजयदशमी दीपावली के प्रदोष काल का आधा भाग भारत में से इसके अतिरिक्त लोकाचार और देश आचार्य के अनुसार निम्नलिखित कृतियों को भी स्वयं सिद्ध मुहूर्त माना जाता है बडावली नामी देव प्रबोधिनी एकादशी बसंत पंचमी फुलेरा दूज इन में से किसी भी कार्य को करने के लिए पंचांग शुद्धि देखने की आवश्यकता नहीं है परंतु विवाह आदि में तो पंचांग में दिए गए मुहूर्त व कार्य करना श्रेष्ठ रहता है।

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