मोहिनी एकादशी व्रत,विधि व कथा 

मोहिनी एकादशी व्रत,विधि व कथा 

मोहिनी एकादशी व्रत करने वाले व्यक्ति को दशमी की रात से ही नियमों का पालन करना चाहिए। एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त यानि सुबह उठकर तिल का लेप लगाना चाहिए या फिर तिल मिले जल से स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद लाल वस्त्रों से सजे कलश की स्थापना कर पूजा की जाती है इसके बाद भगवान विष्णु तथा श्रीराम का  धूप, दीप फल, फूलों आदि से पूजन किया जाता है। पूजन के बाद प्रसाद वितरण कर ब्राह्मण को भोजन तथा दक्षिणा देने का विधान है। रात के समय भगवान का भजन तथा कथा का पाठ करना चाहिए।

पद्म पुराण के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह व्रत मोह बंधन तथा पापों से मुक्ति दिलाता है। सीता माता की खोज के दौरान भगवान राम ने तथा महाभारत काल में युधिष्ठिर ने मोहिनी एकादशी व्रत कर अपने सभी दुखों से छुटकारा पाया था |

 मोहिनी एकादशी व्रत का महत्त्व 

मोहिनी एकादशी व्रत के प्रभाव से सभी प्रकार के पाप तथा दुख मिट जाते हैं। यह व्रत मोह बंधन से मुक्ति दिलाता है। देवी सीता की खोज के दौरान भगवान राम ने तथा महाभारत काल में युधिष्ठिर ने मोहिनी एकादशी व्रत कर अपने सभी दुखों से मुक्ति पाई थी।

सरस्वती नदी के तट पर भद्रावती नाम  की नगरी थी  उसमें  धृतनाथ नाम राजा राज्य करता था उसके राज्य में एक धनवान वैश्य रहता था वह धर्मात्मा और विष्णु भगवान का अनन्य भक्त था उसके 5 पुत्र थे बड़ा पुत्र महा पापी था जुआ खेलना मद्यपान करना पर परस्त्री गमन वेश्याओं का संग आदि नीच कर्म करने वाला था। उसके माता पिता ने उसे कुछ धन वस्त्र आभूषण लेकर घर से निकाल दिया आभूषण बेचकर कुछ दिन उसने काट लिए। अंत में धनहीन  हो गया और चोरी करने लगा। पुलिस ने उसको पकड़ कर बंद कर दिया। दण्ड  अवधि समाप्त होने के पश्चात उसे नगर से निकाल दिया गया।वह पशु पक्षियों को मारता तथा उनको खाकर अपना पेट भरता था। एक दिन उसके हाथ एक भी शिकार ना लगा।वह भूखा प्यासा कौटिल्य मुनि के आश्रम आया और मुनि  के आगे हाथ जोड़कर बोला हे मुनिवर  मैं आपकी शरण में आया हूं मैं प्रसिद्ध पातकी हूं कृपया आप मुझे कोई ऐसा उपाय बताएं जिससे मेरा उद्धार हो जाए आप पतित पावन हो। मुनि  बोले वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत करो अनंत जन्मों के तुम्हारे  सारे पाप नष्ट हो जाएंगे। मुनि की शिक्षा से वैश्य कुमार ने मोहिनी एकादशी  का व्रत किया और पाप रहित होकर विष्णु लोग को चला गया। इसका महात्म्य जो कोई भी सुनता या करता है उसको हजारों गोदान का फल मिलता है और पुण्य प्राप्त होता है। धन्यवाद 

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