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दिल की आरजू 

दिल की आरजू  सूरज हर शाम ढल ही जाता हैं, पतझड़ भी वसंत में बदल जाता है। किसी भी मुसीबत में हिम्मत मत हारना, समय कैसा भी हो गुजर ही जाता है।। चित्र ही नहीं चरित्र भी सुंदर होना चाहिए , भवन ही नहीं भावना भी सुंदर होनी चाहिए । साधन ही नहीं साधना भी …

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राष्ट्रहित का भाव बहे अजय शर्मा  हर घर में राष्ट्रहित का भाव बहे.. स्वदेश प्रेम का सार गढ़े..! हर घर में तिरंगा ऊंचा हो | हर घर की भगवा शान रहे..!!  भारतमाता का मान रहे.. वीरों के अद्म्य साहस का सम्मान रहे; राष्ट्र्भक्ती से हो तिलक हर दिन, विश्वपटल पर भारत का तेजोम्य गुणगान रहे..!! …

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इतिहास बदल रहा है नोरिन शर्मा इतिहास के हर निशान इतिहास के श्वेत पन्ने इतिहास के स्याह सत्य मिटा दो हटा तो छील छीलकर हर दीवार हर पत्थर की नई तक़दीर लिख दो हर सफ़े को नई संज्ञा दो बदलना ही होगा इतिहास को अपने बादशाहों की निशानियों समेत..!!! किंतु मत भूलो इतिहास  बहुत बेरहम …

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देवाधिदेव  शंकरा डॉ  वनिता  शर्मा देवाधि-देव शंकरा रुद्रदेव महेश्वरा  नमस्तुभ्यम, नमस्तुभ्यम नमस्तुभ्यं आदि हो अनादि हो ओंकार मंत्र हो देवों के भी महादेव अविकारी अनंत हो  सत्यं  शिवं  सुंदरं  भोलेनाथ  शंकरा नमस्तुभ्यम नमस्तुभ्यम नमस्तुभ्यं  सृजक हो संहारक हो प्रलय के कारक हो भक्ति हो शक्ति हो आस्था उपासना  हो  शिवतत्त्व आराधना आदिदेव परमेश्वरा नमस्तुभ्यम नमस्तुभ्यम …

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 क्या पाया शहरों की गलियों में ,ढूंढा अपने आप को , अँधेरो में पाया ,मैंने अपने आप को , कर के वफ़ा मैंने ,दिखाया अपने यार को , बदले में पाया ,खतरे में अपनी जान को , शोरगुल में चाहा ,पाना सुनसान को , आदमी के भेष में पाया शैतान को , मतलब परस्त दुनियां …

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खुद को जाने  अजय कुमार शर्मा बुझो खुद को, जानो खुद को; बात है सिर्फ यह तुम्हारे संग्राम की.. कभी भीगे हो बारिश में; भरके आँखों में आँसू….?  कभी दी है अग्नि; ख्वाहिशों को….?  कभी किया है संग्राम अपने अंतर्मन से; खुद को और बुलंद कर क्या कभी,  बच पाए हो तुम टूटने से?? हार …

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