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सामाजिक समरसता के प्रतीक संत रविदासजी

सामाजिक समरसता के प्रतीक संत रविदासजी विकास खितौलिया  (लेखक एवं विचारक) भारत भूमि अवतारों, ऋषि-मुनियों व संत महात्माओं की धरा है। इस पावन भूमि पर बड़े-बड़े साधु-संत पैदा हुए हैं। उन्होंने अपने योग, तप, ज्ञान के बल पर लोगों को सच्चाई के रास्ते पर जीने की राह दिखाई। यदि धर्म कहीं है तो सिर्फ यहीं …

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राम वही जो हर जीव में रमता है।

राम वही जो हर जीव में रमता है। -सुमित कुमार, नोएडा राम जिस चेतना का प्रतिनिधित्व करते हैं, उसके संग होके फिर संसार में व्यक्ति दो ही स्थितियों को प्राप्त होता है। एक तो वह निस्पृह भाव को स्वीकार करता है, यानि बिना किसी अवरोध के चाल-गमन, दूसरा वह इंद्रियों को अपने एकाधिकार में रख, …

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अहिल्याबाई होलकर

अहिल्याबाई होलकर   धीरज झा आपने बिल्ली देखी होगी? आपकी आहट पा कर ही वो भाग निकलती है! नहीं…नहीं…वो डरपोक नहीं होती और अगर आपको लगता है कि बिल्ली डरपोक होती है तो किसी दिन उसके बच्चों को उससे छीनने का प्रयास कर के देखिएगा. वो क्या है, इसकी गवाही आपके जिस्म पर पड़े उसके …

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धर्म रक्षक कमलादेवी हजारिका आसाम में एक ईसाई धर्म प्रचारक भेजे गए थे, नाम था फादर क्रूज। इन्हें असम के एक प्रभावशाली परिवार के लड़के को घर आकर अंग्रेजी पढ़ाने का अवसर मिला। पादरी साहब धीरे-धीरे घर का  निरीक्षण करने लगे। उन्हें पता चल गया कि बच्चे की दादी इस घर में सबसे प्रभाव वाली …

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