KAVITA

 क्या पाया

शहरों की गलियों में ,ढूंढा अपने आप को ,

अँधेरो में पाया ,मैंने अपने आप को ,

कर के वफ़ा मैंने ,दिखाया अपने यार को ,

बदले में पाया ,खतरे में अपनी जान को ,

शोरगुल में चाहा ,पाना सुनसान को ,

आदमी के भेष में पाया शैतान को ,

मतलब परस्त दुनियां में ,देखा इन्सान को,

कचरे के ढेर में पाया ईमान को,

सुनील अग्रहरि,Ahlcon international school, Delhi

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