chaand Par Charcha

 

चंद्रयान मिशन के महत्वपूर्ण बेला में रजनीश की चर्चा

रजत बागची 

आज जब हमारा  विक्रम यान चंद्रमा की भूमि पर अपना कदम रखने जा रहा है, और प्रज्ञान के द्वारा विभिन्न वैज्ञानिक आविष्कार व परीक्षण की बेला आ गई है, अपने इतिहास व संस्कृति के दृष्टिकोण से चंद्रमा को प्रकाशित करने का प्रयत्न  किया जाए

प्राचीन दिनों में पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य ब्रह्मांड के सबसे तात्कालिक और दृश्यमान पहलू थे l उन्होंने  हमारे पूर्वजों के सोच को प्रभावित किया और उनकी कल्पना को इस दुनिया और इस जीवन से परे सोचने के लिए प्रेरित किया l इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि वैदिक कालीन पूर्वज सूर्य और चंद्रमा को देखकर प्रेरित हुए I उन्होंने इनका उपयोग ब्रह्मांड एवं जीवन और मृत्यु के बारे में अपने दृष्टिकोण का प्रतीक बनाने के लिए किया।चार स्तरीय  ब्रह्मांड की परिकल्पना की गई, जिसमें पृथ्वी, मध्य क्षेत्र, इंद्रदेव से विराजित स्वर्ग तथा मोक्ष प्राप्ति का उच्च स्वर्ग सम्मिलित था l

इसके अलावा भी  उन्होंने आकाशीय पिंडों जैसे सूर्य, चंद्रमा, तारे, ग्रहों, दिशाओं और घटनाओं जैसे बादल, वर्षा, गरज, बिजली आदि के महत्व को पहचाना l वेदों में उनका वर्णन या तो देवताओं के रूप में या उनके पहलुओं के रूप में है I वैदिक काल की हमारी पूर्वजों को यह गोचर हुआ कि चंद्रमा नियमित रूप से घटता बढ़ता रहता है जबकि सूर्य स्थिर रहते हैं I इसलिए, सूर्य स्थायित्व और अमरता का प्रतीक था, जबकि चंद्रमा पुनरावृत्ति, पुनरावृत्ति, पुनर्जन्म और पूर्वजों की दुनिया का प्रतिनिधित्व करता था l

हमारी संस्कृति में चंद्रमा का बहुत महत्व है l यह सृष्टि, जीवन और नश्वर अस्तित्व के कई पहलुओं का प्रतिनिधित्व करता है। यह हिंदू धर्म के कई पहलुओं का भी प्रतीक है जैसे वैदिक देवता सोम और चंद्र, स्वप्न अवस्था, सोम अनुष्ठान, मन, पुनर्जन्म, समय, शिव के सिर पर सुशोभित आभूषण, और सबसे महत्वपूर्ण रूप से – क्षय और नश्वरता।

हमारे साहित्य और लोककथाओं में, चंद्रमा को प्रणय, अकेलेपन, मित्रता, सुखद रातों और संबंधों से जोड़ा जाता है।

भारत में बच्चों के लिए चंद्रमा उनकी मां की ओर से करीबी रिश्ता है और इसे चंदामामा कहा जाता है। रात के आकाश में चंद्रमा की आश्वस्त उपस्थिति परेशान बच्चों के लिए एक सुखद व्याकुलता का काम करती है l

 चंद्रमा को उसके आकार और आकाश में तथा ग्रहों के बीच स्थिति के आधार पर शुभ या अशुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि कुछ शुभ अवसरों पर चंद्रमा से पड़ने वाली रोशनी अच्छे स्वास्थ्य और दीर्घायु में योगदान करती है, जबकि कुछ दिनों में इसे बिल्कुल भी नहीं देखना चाहिए। उदाहरण के लिए, चंद्र ग्रहण के समय और गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा को देखना हानिकारक माना जाता है। चंद्रमा का शिव से घनिष्ठ संबंध है। वह अपने मस्तक को मणि के समान सुशोभित करता है। एक किंबदंती के अनुसार, एक बार शिव जी के ससुर प्रजापति ने चंद्रमा को अपनी बेटी की उपेक्षा करने के लिए  श्राप दिया था l परिणामस्वरूप वह कमजोर पड़ने लगा और ताकत खोने लगा। शिव ने उस पर दया की और उसे बारी-बारी से घटने-बढ़ने की शक्ति दी ताकि वह न केवल प्रजापति के श्राप का सम्मान कर सके बल्कि चंद्रमा को उसके विनाशकारी जादू से भी बचा सके।

हमारी संस्कृति में यह मानना ​​है कि चंद्रमा का मानव मन के साथ एक संबंध है और पूर्णिमा के दिन यह लोगों पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है, जिससे वे मानसिक और भावनात्मक रूप से अस्थिर हो जाते हैं। पाश्चात्य देशों में हुए शोध से भी यह बात समर्थित  है

वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा का संबंध मन और भावनाओं से है l इसलिए, माना जाता है कि अन्य ग्रहों के संबंध में इसकी स्थिति व्यक्तियों के मानसिक, भावनात्मक और रोमांटिक भाग्य को प्रभावित करती है।

पूर्णिमा, अर्धचंद्र और अमावस्या के दिन से कई रीति-रिवाज और मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। अमावस्या का दिन पारंपरिक रूप से शुभ माना जाता है। उस दिन, भारत के कुछ हिस्सों में लोग अपने पूर्वजों को तर्पण करते हैं। हालाँकि, कुछ लोग इसे अशुभ मानते हैं और उस दिन कोई नया काम शुरू नहीं करते हैं या किसी अन्य स्थान की यात्रा नहीं करते हैं। हमारे चंद्र कैलेंडर में, प्रत्येक माह अमावस्या के दिन शुरू और समाप्त होता है।

जो पाठक हमारी वैदिक कालीन परंपराओं को दकियानूसी मानते हैं, उन्हें बताते चलें कि श्रीमती कमला का ब्याह (जिन्हें अंग्रेजी बिल्कुल भी नहीं आती थी जबकि श्री मोतीलाल नेहरू व जवाहरलाल पूरी तरह से पाश्चात्य संस्कृति में ढले हुए थे)जवाहरलाल नेहरू से कराने  के पीछे एक वैदिक ज्योतिषाचार्य का  हाथ था जिन्होंने कमला जी के बारे में यह भविष्यवाणी की थी की उनका जिस परिवार में विवाह होगा वह तीन पीढ़ी तक राज करेगी अंततः यह सच प्रमाणित हुआ l

अंत में हम सब को इस बात की आशा व प्रार्थना करनी चाहिए कि  अंतरिक्ष में हमारा गौरव  पुनः स्थापित हो तथा चंद्रमा और सूर्य के बारे में जो हमारे यान छोड़े गए हैं या जाने हैं, उन्हें सफलता प्राप्त हो जिसका लाभ पूरे मानवता के लिए किया जा सके

संदर्भ :

 astroyogi.com 

Pinterest.com

Speakingtree.in

Tamilandvedas.com

Light of moon Rig Veda 1.84.15 – Ancient Bharat

vedicastrology.net.au

 

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